क्या होती है भद्रा, और क्यों इसे अशुभ माना जाता है?
✴️जानिए भद्रा की शुभता एवं अशुभता एवं महत्व......
"नोट : सब कुछ जानिए लेकिन सबसे जरूरी इस बात का ध्यान रखें कि रक्षाबंधन एक संकल्प पर्व है और सभी हिंदुओं को संकल्प लेना है जिहाद मुक्ति का ताकि भाई और बहने सब सुरक्षित रहे और वह सुरक्षित रहेंगे तभी आगे रक्षाबंधन मना पाएंगे...
किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है अत: भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। इसलिए जानते हैं कि आखिर क्या होती है भद्रा? और क्यों इसे अशुभ माना जाता है?
पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और राजा शनि की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी कड़क बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया।
भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया किंतु भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनीतिक चुनाव कार्य सुफल देने वाले माने गए हैं।
✴️हिन्दू पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं।
ये हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। ये चर और अचर में बांटे गए हैं। चर या गतिशील करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि गिने जाते हैं। अचर या अचलित करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न होते हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है।
यूं तो 'भद्रा' का शाब्दिक अर्थ है 'कल्याण करने वाली' लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी गई है।
जब चन्द्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।
रक्षा बंधन मानने पर विशेष संदेश
सनातन धर्म में हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना करती हैं। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन कैसे भी मनाएं लेकिन वो जेहादमुक्त हो इसका ध्यान जरूर रखें हिंदू ताकि भाई बहन दोनों जेहादियों से सुरक्षित रह सकें अन्यथा आप खुद जिन जेहादियों को पोषित कर रहे हैं वही आपके भाई / बहन के लिए समस्या बनेंगे
✴️रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त ( आज तक पर दिए इंटरव्यू ज्योतिर्विद ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के अनुशार)
भद्रा काल बहुत ही अशुभ माना जाता है. भद्रा 19 अगस्त यानी आज रात 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो चुकी है. आज सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा पूंछ रहेगी. फिर, सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख रहेगा. इसके बाद, भद्रा काल का समापन आज दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा. आज दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के बाद ही राखी बांधी जा सकती है.हालांकि, आज भद्रा में भी राखी बांधी जा सकती है. इस पर ज्योतिर्विद ज्योतिषी प्रवीण मिश्र क्या कहते हैं चलिए जानते हैं.
क्या भद्रा में भी राखी बांध सकते हैं Can Rakhi tied in bhadra kaal also?
ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के अनुसार, इस बार भद्रा में भी राखी बांधी जा सकती है. दरअसल, इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में होगा और विद्वानों का मत है कि अगर भद्रा का वास पाताल लोक या स्वर्ग लोक में होता है तो पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए भद्रा अशुभ नहीं होती है. और लोग भद्रा को नजरअंदाज करके रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं. हालांकि, जिन लोगों के लिए जरूरी है वो ही लोग इस बार भद्रा में भी राखी बांध सकते हैं.
19 अगस्त यानी आज राखी बांधने का ये रहेगा शुभ मुहूर्त Raksha Bandhan 2024 Shubh Muhurat
19 अगस्त यानी आज राखी बांधने का सबसे खास मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा, आप इसमें राखी बांध सकते हैं. राखी बांधने के लिए कुल आपको 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा, जो कि सबसे शुभ समय माना जा रहा है.
इसके अलावा, आप शाम के समय प्रदोष काल में भी राखी बांध सकते हैं. आज प्रदोष काल शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.
हो सकता है जो समय जो मुहूर्त बताया गया उसमें कुछ मतभेद हो लेकिन त्योहार मनाने के समय के अलावा त्यौहार मनाने के पीछे का अर्थ भी समझना जरूरी है। संकल्प पर्व पर सभी संकल्प लें और धर्म का पालन करते हुए अधर्मियों का बहिष्कार करें
जय श्री राम , जय गोविंदा , ॐ नमः शिवाय 🙏