एक सोच जो कयामत चाहती है एक सोच जो लूट पाठ बलात्कार हत्या से आगे नहीं बढ़ पा रही है क्या वह शांति और प्रेम की बातें समझ सकती है? क्या एक कानून और संविधान के अनुशार चल सकती है..?
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जब तक इस एक विचारधारा की सच्चाई को लोग समझना नहीं चाहेंगे तब तक यह अपने कार्य को ऐसे ही आगे बढ़ाती रहेगी और मुद्दा कोई भी हो यह काफिरों को टारगेट करती रहेगी। जिसका उद्देश्य कयामत है जो अंत चाहते हैं वह कैसे किसी को आगे बढ़ते देख सकते हैं, उन्हें क्या मतलब है विकास से, उन्हें क्या लेना देना है चांद पर पहुंचने से उन्हें तो बस कयामत चाहिए और कयामत के बाद शराब की नदियां तथा हूरें चाहिए।
जय श्री राम
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