ये कोई साधारण पोस्ट नहीं अपितु सनातनियों को खास संदेश है इस संदेश को नहीं समझे तो शायद भविष्य में कुछ और समझने का अवसर ही ना मिले।
"भगवद गीता" को जितना जल्दी समझ लोगे सनातनियों तुम्हारे लिये उतना ही अच्छा. श्रीमद्भागवतगीता केवल वेद और उपनिषदों का सार नहीं अपितु इस सम्पूर्ण श्रृष्टि का सार है , हर समस्या का समाधान है, हर प्रश्न का उत्तर है और शंका तो गीता पढ़ने वालों को कभी हो ही नहीं सकती....कृष्ण तो सब बनना चाहते हैं लेकिन जरूरत अब अर्जुन की है "गांडीवधारी अर्जुन"।
अगर कोई साथी श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने के लिए "गीता प्रेस गोरखपुर की श्रीमद्भगवद्गीता" पुस्तक चाहता है तो हमसे संपर्क करें जो साथी पैसे देने में असमर्थ हैं लेकिन संकल्पित होकर गीता पढ़ने के इच्छुक हैं तो गीता जी की पुस्तक प्रशासक समिति की तरफ से बिल्कुल मुफ्त आपके घर पर पहुंचाई जाएगी बस आपको उसे पढ़ने का संकल्प लेना होगा)
आखिर हिंदू कब तक दूसरों पर निर्भर रहेंगे? कब तक सोचते रहेंगे की कोई आएगा और उन्हें बचाएगा, कब तक सरकार, प्रशासन, पुलिस आदि पर बोझ बना रहेगा हिंदू? उठा जागो और अर्जुन बनो , धर्म द्रोहियों को अपनी गांडीव से जवाब दो.... जब तक ऐसा नहीं करोगे तब तक खतरे से बच नहीं पाओगे... ध्यान रहे ..भगवान शस्त्र नहीं उठाएंगे.. शस्त्र तो अर्जुन को हो उठाने पड़ेंगे
अधर्म को मूक बनकर, जो मात्र निहारे जाते हैं... भीष्म हों, द्रोण हों या कर्ण हों, सब मारे जाते हैं.