आपने कभी स्लीप टूरिज्म का नाम सुना है ? बहुत कम लोगों ने सुना होगा । लेकिन कुछ ही दिनों महीनों की बात है । सब न केवल जान जाएंगे कि स्लीप टूरिज्म क्या है , अपितु खुद भी उसी का हिस्सा बन जाएंगे । जिंदगी में छाए तनाव और अवसाद सब कुछ करा देंगे । क्या कहा नींद नहीं आती और सो नहीं पा रहे ? घबराइए मत , आपको सुलाने की भरपूर तैयारियां चल रही हैं !
बाकी दुनिया की छोड़िए , अपने भारत में भी स्लीप टूरिज्म शुरू हो चुका है । देश में यात्रा कराने वाली कंपनियां ढूंढ ढूंढकर उन डेस्टिनेशंस की तलाश में जुटी हैं , जहां के लिए स्लीप टूर्स आयोजित प्रायोजित किए जा सकें । वर्ल्ड टूरिज्म जगत के मानचित्र पर स्लीप टूरिज्म बहुत तेजी से उभर रहा हैं । वास्तव में आपाधापी , शोहरत , पावर और दुनिया में छा जाने की होड़ ने ऐसे तनाव उत्पन्न कर दिए है कि विशेषज्ञों ने उनसे उबरने का रास्ता स्लीप टूरिज्म के माध्यम से ढूंढ निकाला है ।
अब तक आप समझ ही गए होंगे कि स्लीप टूरिज्म क्या है । दरअसल स्टेटस , ग्लैमर , वैभव , मकाम पाने की होड़ आदि ऐसे कारण हैं जिन्होंने लोगों की नींद उड़ा दी है । हर वक्त कुछ न कुछ हासिल करने की होड़ और काफी मिलने पर भी संतुष्ट न होने की गलती से नींद हवा हो गई है । अब तो गोलियां खाने पर भी नींद नहीं आती ।
एक्सपर्ट्स के अनुसार बॉस का सामना करने का भय , कोई शैतानी डैड लाइन , दफ्तर की कलह , मेहनत करने पर भी हासिल न कर पाने की मजबूरी ने नींद उड़ा दी है । बाकी काम लैपटॉप और मोबाइल चलाते रहने की आदत ने कर डाला है । हर स्वस्थ आदमी को आठ घंटों की नींद लेनी चाहिए । लेकिन आम तौर पर लोग चार पांच घंटे से अधिक नहीं सो पाते । महानगरीय जीवन शैली भी युवाओं की नींद की दुश्मन बन गई है ।
नींद की भारी कमी से उपजा है नैपकेंशन या नैप हॉलिडे । यह एक नई प्रकार का पर्यटन है जो लोगों को चैन की नींद मुहैया कराता है । इस पर्यटन का मुख्य भाग है चैन से लंबा सोने का माहौल उपलब्ध कराना । विदेशों में तो स्लीप टूरिज्म फैल ही चुका है । अब भारत में भी विदेशी और तनाव से थके भारतीय सोने के लिए आ जा रहे हैं ।
कर्नाटक का कुर्ग , बंगाल का दार्जलिंग , लेह लद्दाख और गोवा स्लीप टूरिज्म के केंद्र बन चुके हैं । स्लीप टूरिज्म के लिए नींद सम्मोहनकर्ता , नींद मास्क , स्मार्ट बिस्तर , विशेष आरामदायक तकिए , स्मार्ट लाइटिंग , स्पा , जड़ी बूटियों से तैयार सुखदायक पेय , हर्बल मसाज और स्मार्ट लाइटिंग का प्रयोग किया जा रहा है ।
अब बताइए हम भारतवासियों का क्या हाल हो गया है । लोगों को कभी टूटी खाट पर नींद आ जाती थी , खेतों के मेड या डॉल को सिराहना बनाकर सो जाते थे । जब पंखे भी नहीं थे , तब फर्श गीलाकर उसी पर भारतवासी चैन की नींद सो लेते थे । मट्ठे या लस्सी का पटियालवी गिलास पी लिया तो तीन चार घंटे की नींद पक्की ।
क्लास में टीचर का लेक्चर सुनते सुनते सो जाते थे छात्र । वैसे तो हम लोग आज भी सांसदों को चलते सदन झपकी लेते हुए देख लेते हैं । लेकिन तनाव और होड़ बाजी ने नींद उड़ाई भी बहुत है । तो देखिए , आ गया स्लीप टूरिज्म । न घूमना न फिरना , बस सोने के लिए जा रहे लोग । मत सोचिए कि ये कहां आ गए हम ? नींद नहीं आती तो सोने के लिए जाइए । यकीन मानिए पैसा आपको बढ़िया नींद पर ले जाएगा ।