लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार जरूर बन रही है , लेकिन इस सरकार की तुलना पहली दो बार की जीत से नहीं की जा सकती । पहले दो बार बीजेपी केवल अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम थी । इस बार जब तीसरे कार्यकाल में बड़े बड़े काम करने का ब्ल्यूप्रिंट तैयार कर लिया गया था तब बीजेपी कुल 239 सीटों पर सिमट कर रह गई ।
सच कहें तो इस बार सही मायनों में एनडीए सरकार होगी । 2024 को ऐसे साल के रूप में याद किया जाएगा , जिसमें एनडीए जीत कर भी दिल मसोसता रह गया और इंडिया ब्लॉक बढ़त लेकर भी हाथ मलता रह गया । दस साल बाद ऐसा दिन आया , जब सरकार तो बनेगी , किंतु बीजेपी ऊंची ऊंची उड़ान शायद नहीं भर पाएगी ।
सच कहें तो बीजेपी का सारा गणित बिगड़ गया । सारे काम धरे रह गए । 370 हटाने पर भी न 370 मिले और न 400 पार । सच कहें तो बीजेपी 250 का आंकड़ा तक नहीं पकड़ पाई और एनडीए 300 पार न जा सका । बेशक सरकार तो मोदी बना लेंगे लेकिन उन्हें नीतीश और चंद्रबाबू की कभी भी फिसल जाने वाली बैसाखियों के सहारे आगे चलना पड़ेगा ।
चिराग पासवान जैसी छोटी छोटी कुछ और कड़ियां बीजेपी से जुड़ी हैं जो कब तक जुड़ी रहें , कहना मुश्किल है । तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री और दो बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत की जिस ठसक के अभ्यस्त हैं उसे इस तीसरे कार्यकाल में पाना संभव नहीं । इस मानसिकता के चलते पीएम पद पर मोदी 3 कैसा होगा , अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है ।
यह जानकर आश्चर्य होता है कि इतने बड़े बड़े काम करने के बाद भी कोई सरकार पूर्ण बहुमत क्यों नहीं पा सकी । राम मंदिर निर्माण , 370 हटाना , कश्मीर में खुशहाली , तीन तलाक़ हटाना , मुफ्त घर , आयुष्मान कार्ड , जैनरिक दवाएं , शौचालय , नेशनल हाई वे नेटवर्क , स्टार्ट अप , एमएसएमई , एयरपोर्ट निर्माण , रेलवे नेटवर्क विस्तार आदि अनेक ऐसे काम हैं जिनके आधार पर बीजेपी पूर्ण बहुमत की अधिकारी थी । तीसरे कार्यकाल में भी पीओके वापसी जैसे बड़े कार्यों की योजना थी । 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज क्या छोटी योजना है ? इसके बावजूद यदि बीजेपी अपने बलबूते पर 300 पार नहीं कर सकी तो सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है ।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि यदि इंडिया गठबंधन और अधिक योजनाबद्ध होता तो परिणाम दूसरे हो सकते थे । इसके बावजूद राहुल गांधी , अखिलेश , ममता बनर्जी और स्टालिन ने शानदार प्रदर्शन किया । खासकर अखिलेश ने यूपी में योगी साम्राज्य को जैसी चुनौती पेश की , वह आश्चर्यजनक है । इंडिया ब्लॉक ने महाराष्ट्र में भी एनडीए की कमर तोड़ दी है ।
इस चुनाव ने एक और बात साबित की है कि मोदी का खुद अपने मुंह से अपना महिमा मंडन जनता ने पसंद नहीं किया । प्रधानमंत्री ने मोदी की गारंटी , यह मोदी है पलट के मारता है आदि अनेक ऐसे शब्दों का बार बार इस्तेमाल किया को उन्हें अहंकारी बनाते हैं । गारंटी मोदी की नहीं , भारत सरकार की होती है , पीएम की होती है । चीन या पाकिस्तान को मोदी सबक नहीं सिखाता , देश सबक सिखाता है , सेना सबक सिखाती है । कार्यकर्ताओं को भी मोदी मोदी की व्यक्तिवादी रटन्त छोड़कर पार्टी पर बल देना चाहिए ।
तो चलिए , लोकतंत्र के इस स्वरूप का भी आनन्द लेते हैं । यह देश सबका है और अपने प्रयासों से किसी को भी जीतने का अधिकार है । देश से बड़े न मोदी हैं और न राहुल , इसका ध्यान सभी को रखना होगा । मोदी सरकार बन तो जाएगी , लेकिन सरकार की चाभी चंद्रबाबू और नीतीश दोनों ही अपने पास रखेंगे । अभी मोदी 3 चलेगा जरूर , उम्र कितनी लंबी होगी , यह बात समय के गर्भ में छिपी रहेगी । इंडिया ब्लॉक एक प्रयोग था जो बीजेपी को रोक तो नहीं पाया पर कमजोर अवश्य कर गया ।