हिन्दू अनेकों प्रकार के जंजालों में फंसे पड़े हैं और विधर्मियों के शिकार हैं। चाहे मजहबी विधर्मी हो या राजनीतिक विधर्मी, सभी हिंदुओं को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। लेकिन यदि हिन्दू इस कुचक्र को तोड़ना चाहते हैं तो सभी हिंदुओं को एकजुट भी होना होगा और "हिन्दू-हिन्दू , भाई-भाई" वाले सूत्र पर चलते हुए हर हिन्दू का पूरा सहयोग भी देना होगा। इसके साथ ही धर्म को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना होगा। "द हिन्दू फैमिली सलून" - जातिवाद, बेरोजगारी जैसे समस्याओं के समाधान का अच्छा मॉडल है !

अब हिन्दुओं को एकजुट होना होगा और एक दूसरे की सहायता करते हुए आगे भी बढ़ना होगा अन्यथा आज नहीं तो कल सबका नंबर आयेगा और सब के सब शिकार बनेंगे अधर्मियों / विधर्मियों के। ध्यान रखें - कोई भी वस्तु खरीदनी है या कोई सेवा लेनी है तो केवल हिन्दुओं से ही ली जाए और दुकानदार भी इस बात का ध्यान रखें कि वो भी स्वयं खुलकर अपनी दुकानों, व्यवसायिक स्थलों पर धार्मिक नामों, धर्म चिन्हों से सुशोभित करें और विशेष बात - जाति नहीं "हिन्दू" को प्रथम रखें। हिन्दू की दुकान है तो दूर से ही पता चलनी चाहिए की दुकान किसी "हिन्दू" की ही है।