जब एजेंडा क्लियर होता है, जब धर्म / मजहब केंद्र में होता है तो दुनिया कदमों में झुकाई जा सकती है (मु&लिम) लेकिन जब जातिवाद का नशा हावी होता है, जब धर्म का ज्ञान ही नहीं होता तो अपनी टांगे खुद काटते हैं (हिंदू)।
bollywood नायिका रवीना टंडन जिनकी इ&लामिक भीड़ ने इनकी मॉब लिंचिंग की, लेकिन इ&लामिक दबाव में ये FIR न कर सकी
आरोप - रवीना की कार ने टक्कर मारी, Fact - CCTV में कोई टककर नहीं थीं
आरोप - रवीना भयंकर नशे में थीं, Fact - मेडिकल में कोई नशा नहीं प्रूव हुआ
आरोप - रवीना ने भद्दी गालियां दी, Fact - वीडियो में रवीना को गाली दी गयीं
लेकिन मज़ाल है कि ईद की खुशियां बराबर बांटने वाली रवीना की हिम्मत हुईं हो कि bollywood में रहते मुस्लिम दरिंदो के खिलाफ शिकायत दे सके..
गौर करने वाली बात ये कि एक भी Bollywood के भांड ने इस घटना पर मुँह नहीं खोला सिर्फ इसलिए क्यूंकि अपराधी मुस्लिम थे
सोचिये अगर हमलावर भीड़ हिन्दू होती तो Bollywood के भांड किस तरह विश्व विलाप कर आसमान सर पे उठाते...
वैसे कारण एकता की ताकत है जो हिंदुओं मे नहीं है...