चुनावों में कई बार परिणाम अपने मन मुताबिक नहीं आते.... आज यही हुआ है. ऐसे में voter को दोष देना सही नहीं है.....(वोट ना देने वालों का दोष तो है) आत्मचिंतन करना जरूरी है... गलती कहाँ हुई.हर जगह हमारी गलती हो ऐसा भी नहीं है.. कई जगह विपक्ष की तैयारी बेहतर थी.. उन्होंने बिसात अच्छी बिछाई थी.... उससे सीखीए.
कहते हैं....भारत के समाज में ढेरों Fault Lines हैं...और कहीं ना कहीं इस बार विपक्ष ने इनका अच्छे से दोहन भी किया है... चाहे जातिवाद हो, धर्म पर हो, मजहब हो, आरक्षण हो, मुफ्तखोरी हो.यह तो हमेशा ही होता रहेगा... आपको इनका कोई ना कोई तो तोड़ निकालना होगा.... यही एक अच्छे राजनीतिज्ञ की पहचान है.
बाकि अब यह एक झटका है.. लेकिन इससे उबर कर अपने मेनिफेस्टो के सभी काम पूरे करने पर लग जाना होगा... सरकार बन रही है... उसे स्थाई रखना है और आगे बढ़ना है. फिलहाल के लिए इसे एक सबक की तरह लीजिये और आगे बढ़िए... एक blunder होते होते बचा है..... आगे ऐसा ना हो.. इसका ध्यान रखना है
जय श्री राम
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