चुनाव की रौनक नंबर 2 के पैसे से ही होती है। यह पहला चुनाव है, जिसमें सबसे कम कैश का फ्लो है। पहला चुनाव है, जब सत्ता हो या विपक्ष किसी का प्रचार वाहन देखना भी दुर्लभ हो चुका है। एजेंसियों की सख्ती से कैश इधर - उधर करना मुश्किल हो चुका है।
वही राजनीतिक प्रोग्राम हो पा रहे हैं, जो नंबर 1 के भुगतान से हो रहे हैं। सख्ती इस कदर बढ़ गई कि हालिया विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड जब्ती हुई। सब डरे हैं। सब भगवान भरोसे चुनाव लड़ रहे। किसी पार्टी के बूथ लेवल वर्कर तभी मैदान में रंग जमाते हैं जब उन्हें हजार/ दो हजार रुपए बाइक के पेट्रोल और चाय पानी का मिलता रहता है।