★ शुद्ध सच्चिदानन्दघन एक परमात्मा ही सर्वत्र व्याप्त है और अखिल विश्व एवं विश्व की घटनाएँ उसी का स्वरूप और लीला हैं।
★ परमात्मा समय-समय पर अवतार धारणकर प्रेम द्वारा साधुओं का और दण्ड द्वारा दुष्टों का उद्धार करने के लिये लोककल्याणार्थ आदर्श लीला करते हैं।
★ भगवान् की शरणागति ही उद्धार का सर्वोत्तम उपाय है।
👉 उदाहरण-विभीषण
४ - सत्य ही परम धर्म है, सत्य के लिये धन, प्राण, ऐश्वर्य सभी का सुख पूर्वक त्याग कर देना चाहिये।
👉 उदाहरण - श्रीराम
★ मनुष्य जीवन का परम ध्येय परमात्मा की प्राप्ति करना है और वह भगवत्-शरणागति पूर्वक संसार के समस्त कर्म ईश्वरार्थ त्यागवृत्ति से फलासक्ति-शून्य होकर करने से सफल हो सकता है।
★ वर्णाश्रम धर्म का पालन करना परम कर्तव्य है।
★ माता-पिता की सेवा पुत्र का प्रधान धर्म
👉 उदाहरण- श्रीराम, श्रवणकुमार
★ स्त्रियों के लिये पातिव्रत परम धर्म है।
👉 उदाहरण - सीता जी
★ पुरुष के लिये एक पत्नी - व्रत का पालन अतिआवश्यक है।
👉 उदाहरण- श्रीराम
★ भाइयों के लिये सर्वस्व त्यागकर उन्हें सुख पहुँचाने की चेष्टा करना परम कर्तव्य है।
👉 उदाहरण- श्रीराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न
★ धर्मात्मा राजा के लिये प्राण देकर भी उसकी सेवा करना प्रजा का प्रधान कर्तव्य है।
👉 उदाहरण- (१) वनगमन के समय अयोध्या की प्रजा
(२) लंका के युद्ध में वानरी प्रजा का आत्म बलिदान ।
★ अन्यायी - अधर्मी राजा के अन्याय का कभी समर्थन न करना चाहिये। सगे भाई होने पर भी उसके विरुद्ध खड़े होना उचित है।
👉 उदाहरण- विभीषण
★ प्रजारञ्जन के लिये प्राण प्रिय वस्तु का भी विसर्जन कर देना राजा का प्रधान धर्म है।
👉 उदाहरण - श्रीरामजी द्वारा सीता त्याग
★ प्रजाहित के लिये यज्ञादि कर्मों में सर्वस्व दान दे डालना।
👉 उदाहरण- दशरथ और श्रीराम
★ धर्म पर अत्याचार और स्त्री-जाति पर जुल्म करने से बड़े-से-बड़े शक्तिशाली सम्राट् का विनाश हो जाता है।
👉 उदाहरण - रावण
जय रघुनंदन " जय श्री राम " ❣️