विवाह के पश्चात जब बेटी विदा होती है तो वह पिता की दहलीज लांघते समय बिना पीछे पलटे अपने पीछे की और चावल और पैसे उछलकर विदा होती है, इसका तात्पर्य यह होता है कि वह लक्ष्मी स्वरुप अपने साथ मायके का सौभाग्य लेकर नहीं जाए और मायके में हमेशा अन्न और धन से भरा रहे.......
आजकल यह रस्म घर की बजाय फाइव स्टार होटल रिसोर्ट और महंगे होटलों में अदा की जा रही है इसलिए सौभाग्य घर की बजाय होटल और रिसॉर्ट पर ज्यादा बरस रहा है ।
बात को गहराई से समझने की बहुत अधिक आवश्यकता है अभी भी समय है संभल जाएंगे तो अच्छा है आधुनिक बनिए लेकिन अपनी परंपराओं को बचाकर
कलेवर बदलिए कल्चर नहीं🙏🙏