सोशल मीडिया पर राम नाम को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। तर्क वितर्क लिखे जा रहे हैं। या फिर यह कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि तर्क कुतर्क लिखे जा रहे हैं।
जब कोई तर्क करे तो उसको जवाब दिया जा सकता है पर जब वह कुतर्क करे तो वहां से हट जाना ही बेहतर है ।
तर्क देने वाला व्यक्ति सिर्फ वहीं तक तर्क दे सकता है जितना वह अच्छे से जनता है उसके आगे न तो उसके पास ज्ञान होता है और न कोई तर्क। बस यहीं से वह कुतर्क करना शुरू कर देता है।
भगवान राम के बारे में एक सामान्य व्यक्ति को समझने में कई जन्म लग सकते हैं। चूंकि हम आम जन हैं अतः हमें भी उनके जीवन के प्रत्येक पहलू का विश्लेषण कर सही आंकलन कर सकने में कई जीवन लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। तो ऐसे में क्या किया जाए?
ऐसे में हमें उनके द्वारा स्थापित आदर्शों और जीवन मूल्यों को बिना किसी तर्क के साथ अपनाना चाहिए। यही हमारे और किसी भी सभ्य समाज के लिए आदर्श स्थिति है।
बाकी अपनी अपनी सोच❗️