24 जून 1990 को संतों ने देवोत्थान एकादशी 30 अक्टूबर 1990 से मंदिर निर्माण हेतु कारसेवा शुरू करने का आह्वान किया। उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवा रोकने के लिए केवल अयोध्या को ही नहीं , पूरे उत्तर प्रदेश को छावनी में बदल दिया था। हजारों कारसेवक पकड़े गए थे , उन्हें जेलों में ठूंस दिया गया था। अयोध्या आने पर पाबंदी लगा दी गई थी। राम नाम लेना भी अपराध हो गया था। मुलायम सिंह ने घोषणा की थी - " अयोध्या में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।"
इसी बीच 25 सितंबर 1990 को भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने सोमनाथ मंदिर से पूजा - अर्चना कर श्री राम रथ यात्रा शुरू की। जनता का बड़ा समर्थन मिला। जब यह यात्रा समस्तीपुर पहुंची , तो बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने श्री लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करवा दिया। इसके प्रत्युत्तर में भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में वी पी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।
30 अक्टूबर को हजारों रामभक्तों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़ी की गई अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश ही नहीं किया , वरन् विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। इससे बौखला कर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2 नवंबर 1990 को निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया , जिसमें कोलकाता के श्री राम कोठारी और शरद कोठारी सहित अनेक रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुति दी।
रामभक्तों के नरसंहार से पूरा देश आक्रोशित हो उठा। 4 अप्रैल 1991 को दिल्ली के वोट क्लब पर अभूतपूर्व रैली हुई। इसी दिन कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नए चुनाव में श्री कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा ने सत्ता संभाली।
अक्टूबर 1990 में दिल्ली में आयोजित " धर्म संसद " में गीता जयंती (मार्ग सिर्फ शुक्ल एकादशी) 6 दिसंबर 1992 से पुनः कारसेवा प्रारंभ करने की घोषणा की गई। दीपावली पर अयोध्या से आई " श्री राम ज्योति " से घर-घर दीप जलाए गए।
प्रदेश शासन ने विवादित स्थल के पास 2.77 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ली थी। इस अधिग्रहण को मुसलमानों द्वारा न्यायालय में चुनौती दी गई। नवंबर 1992 में सुनवाई पूरी हो गई। दोनों हिंदू न्यायमूर्तियों ने निर्णय लिख दिया , पर तीसरे श्री रजा ने इसके लिए 12 दिसंबर 1992 की तिथि घोषित की।
26 नवंबर से कारसेवक अयोध्या पहुंचने लगे थे। इससे अयोध्या में आए कई लाख कारसेवकों के आक्रोश से वह जर्जर विवादित ढांचा धराशायी हो गया। इसके बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई।
केंद्र की कांग्रेस सरकार ने केवल उत्तर प्रदेश की ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी की चार राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया।
7 दिसंबर 1992 को जन्म स्थान पर एक लघु अस्थायी मंदिर निर्माण किया। श्री रामलला की दैनिक सेवा-पूजा की अनुमति के लिए अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की। 1 जनवरी 1993 को अनुमति दे दी गई। तब से दर्शन-पूजन का क्रम अनवरत जारी है। (क्रमशः)
(नीचे दोनों कोठारी बंधुओं की छवि दी गई है , जिन्होंने प्रभु श्रीराम के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।)
।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।