दो बड़े राज्यों और छत्तीसगढ़ में सरकार बन जाने के बाद दो सरप्राइज़ अभी बाक़ी हैं । पहला यह कि शिवराज सिंह चौहान , वसुंधरा राजे और रमण सिंह के स्थान पर तीनों राज्यों में कौनसे नए चेहरे लाए जा रहे हैं ? दूसरा सरप्राइज़ यह कि क्या 2024 में बीजेपी के लिए 350+ का रास्ता साफ हो गया है ? राजस्थान , मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भाजपा की जीत कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा धक्का है । बेशक उसे तेलंगाना का नया राज्य मिल गया हो लेकिन बड़े राज्यों का ज़ख्म लंबे समय तक सालता रहेगा ।
राज्यों के परिणामों ने साबित कर दिया है कि मोदी के कद का कोई दूसरा नेता देश में फिलहाल नहीं है । 2014 में मोदी के आने के बाद हमने दो तीन बार कहा था कि मोदी में सामने वाले की आधी शक्ति छीन लेने की क्षमता है । ऐसा कईं बार अनुभव भी हुआ है । मोदी को देखकर झुलसने की बीमारी कांग्रेस और कुछ अन्य दलों में गोधरा काण्ड के बाद से फैली हुई है ।
उनके पीएम बनने पर सोनिया , राहुल और प्रियंका को ऐसा लगा मानों किसी ने उनकी निजी सल्तनत छीन ली हो । जहां तक राहुल की बात है , मोदी के पीएम बन जाने पर राहुल को पर्सनल आघात पहुंचा । लेकिन जैसे ही राहुल व्यक्तिगत रूप से मोदी पर आक्रामक होते गए , निस्तेज होते गए । तभी हमने कहा था कि मोदी नाम के इस शख्स में सामने वाले की आधी शक्ति छीन लेने की क्षमता मौजूद है ।
तीनों राज्यों में कोई चेहरा न होते हुए मोदी ने अपने चेहरे पर चुनाव लड़कर जबरदस्त सफलता प्राप्त की । बड़े बड़े समीक्षक यह मान रहे थे कि कांग्रेस चारों राज्यों में मजबूत है । उन्हें अब हैरत हो रही होगी कि इतना बड़ा गच्चा वे कैसे खा गए ? कांग्रेस ने चुनाव में अनेक मैनेजमेंट ग्रुप्स की बेहद महंगी सेवाएं हासिल की । यहां तक कि किस सीट पर किस प्रत्याशी को टिकट दिया जाए , यह फैसला भी संगठन का नहीं , ग्रुप मैनेजर्स ने ही लिया ।
अनेक आईटी सेल विशेषज्ञों ने चुनाव में मीडिया मैनेजमेंट संभाला । लेकिन मोदी के अकेले चेहरे के सामने उनकी एक न चली । न जाति जनगणना के शगूफे काम आए और न ही महंगाई बेरोजगारी के नारे । जादू चला तो मोदी का खूब चला । मुफ़्त मुफ़्त सबने खेला । लेकिन जनता को " मोदी की गारंटी " पर भरोसा हुआ । परिणाम सामने है । उस तेलंगाना में भी 8 सीट मिल गई , जहां कोई नामलेवा नहीं था । मतलब हैदराबाद के " किंग " ओवैसी से भी ज्यादा ।
लोकसभा चुनावों के बीच अब केवल पाँच महीनों का छोटा सा अरसा शेष रह गया है । जाहिर है भाजपा इस जीत को बूस्टर डोज मानकर 2024 की तैयारियों में जुट जाएगी । इसके विपरीत कांग्रेस को इस बड़े सदमे से उबरने में खासा वक्त लगेगा । सवाल डॉट डॉट इंडिया का भी है । नीतीश , अखिलेश और केजरीवाल की नाराजगी तथा ममता की उपेक्षा से यह गठबंधन पहले ही कमजोर हो चुका है । भारी पराजय के बाद इंडिया फेस बनने का कांग्रेसी दावा अब उतना दमदार नहीं रहेगा । यद्यपि यह चुनाव है और चुनाव में पांच महीने पहले कुछ कहना नहीं चाहिए । फिर भी 2024 में तीसरी बार मोदी के पीएम बनने का रास्ता अब साफ हो गया है ।
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