👆🏾यह पाकिस्तान के मुल्तान में स्थित प्रहलादपुरी मंदिर है।
नरसिंह भगवान का यह मंदिर खुद भक्त प्रहलाद ने बनवाया था, इसे तालिबान ने नही तोड़ा ना ही अलकायदा ने। इसे उन्होंने तोड़ा जिनके बारे में आप कहते है कि वो तो हमारे साथ सारे त्यौहार मनाते है और ब्ला ब्ला।
जैसे अयोध्या में दिवाली और हरिद्वार में गंगा आरती प्रसिद्ध है वैसे ही मुल्तान में होली प्रसिद्ध थी। हिन्दू मुसलमान मिलकर होली खेलते थे, यहाँ की धर्मयात्राओ में मुस्लिम भी भागीदार होते थे। हिन्दू ने इसी भोलेपन में एक गलती कर डाली जिसका नतीजा यह फोटो है।
1810 में हिंदुओ ने बगल की एक जमीन दरगाह बनाने के लिये दान की। यह इलाका सूखे से ग्रस्त था और मंदिर परिसर में ही बस एक कुआँ था। दरगाह बनाते समय मुसलमान हिन्दू का ऋणी रहा, लेकिन कुछ सालों में मंदिर में चोरी के केस बढ़ गए।
मुस्लिम समुदाय ने आरोप लगाया कि हिन्दू कुएँ का पानी रोक रहे है। अंग्रेजो ने कुछ नियम बनाकर मामला शांत किया, लेकिन अब विवाद तेजी से बढ़ने लगे। 1850 में कुछ हिन्दू महिलाओं का अपहरण करके उनका बलात्कार किया गया।
इस पर मुल्तान के हिन्दू भड़क गए उन्होंने दरगाह पर हमला कर दिया, दरगाह में आगजनी की और कुरान को जलाया। इसके पलट में मुसलमानों ने मंदिर में आग लगा दी जिस पर नियंत्रण पा लिया गया। हिंदुओ के बाप दादाओं का सेक्युलरिज्म अब नई पीढ़ी भुगतने को प्रस्तुत थी।
दरगाह की जमीन हिन्दू कभी वापस नही ले सके, दरगाह होने के कारण मुल्तान में मुसलमानों की संख्या बढ़ती गयी और आखिरकार जो होली साथ मे मनाई जाती थी उस होली पर अब पथराव शुरू हो गए। जब पाकिस्तान अलग हुआ तो हिंदुओ को भागना पड़ा, नरसिंह भगवान की मूर्ति हरिद्वार में लाकर स्थापित की गई।
मंदिर के अंदर एक मदरसा आरंभ हो गया, 1992 में इस मंदिर को तोड़ दिया गया। लेकिन 2009 में पाकिस्तानी सरकार ने मंदिर के पुनः निर्माण का आदेश दिया।
पैसे भी दिये गए लेकिन जब भी कुछ करते है इस्लाम खतरे में आ जाता है और पत्थरबाजी शुरू हो जाती है। 18 वर्ग फ़ीट की दरगाह 2000 वर्ग फ़ीट वाले मंदिर के लिये बाधा है।
खैर आप लोग गुस्सा मत कीजिये ना ही दुख मनाइए लेकिन अवलोकन कीजिये क्यो कांग्रेस हमेशा कहती है कि इतिहास में कुछ नही रखा उसे मत कुरेदो। क्यो हमारे दिमाग में फ़ीट किया गया कि दरगाहों पर सिर धोकना अच्छी बात है? क्यो हमे लॉलीपॉप दिया जाता है कि त्यौहार मिल जुलकर बनाओ। ये दरगाहे हमेशा मंदिर के आसपास या सड़क किनारे ही क्यो बनती है?
आप सिर्फ ये समझिए की आपके अवचेतन मन में ये सब बातें क्यो डाली जाती है? मुसलमानों ने 1810 में जेहाद छेड़ा था 1992 में यह मंदिर गिरा सके, इसी तरह वो आज 2023 में जब हिंदुओ में सेक्युलरिज्म का बीज बोयेंगे तब ही उसकी फसल उन्हें 2193 तक खाने को मिलेगी।
लेकिन इस बार हम उन्हें रोकेंगे। आप लिख लीजिये वो दिन भी आएगा जब हम मुल्तान में मंदिर फिर से स्थापित करेंगे। अरब से जो इस्लाम की आंधी उठी थी उसने मलेशिया तक इंसानियत का सफाया कर दिया लेकिन भारत बच गया और ये भारत इसीलिए बचा है ताकि मानवता का कमल फिर से खिल उठे।
इस बार हम किसी भ्रमजाल में नही फसेंगे, बल्कि हम आगे बढ़ेंगे, सिंधु नदी एक बार फिर भारत में बहेगी, मुल्तान में होली खेली जाएगी और लाहौर में रावण दहन भी होगा।
आप बस सेक्युरिज्म नाम की अफीम से देश को बचाइए, देश को छोड़िये खुद ही को बचा लीजिये।
कांग्रेस को एक भी वोट देना मतलब मंदिर के बगल में एक छोटी जगह मज्जीद को देना ताकि वो फिर आपको इस्लाम की आग में धकेले
जय सनातन 🙏🏼🕉️🚩💐
ReplyDeleteजय सनातन
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