VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 37
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 09:53 तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक - 22 अक्टूबर 2023
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - आश्विन
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा शाम 06:44 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - धृति रात्रि 09:53 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल - शाम 04:43 से 06:09 तक
⛅सूर्योदय - 06:39
⛅सूर्यास्त - 06:09
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 से 12:49 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - महाष्टमी, दुर्गाष्टमी, सरस्वती-विसर्जन, स्वामी रामतीर्थजी जयन्ती (दि. अ. )
⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 नवरात्रि - दुर्गाष्टमी - 22 अक्टूबर 🌹
🌹 नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा की जाती है । माँ महागौरी, माँ दुर्गा का आठवाँ स्वरूप है । इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है । पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है । माँ के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है ।
🌹 इस दिन माँ को नारियल चढ़ाया जाता है । इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है । अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा करने से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
🔸ॐ कार का अर्थ एवं महत्त्व🔸
🔹ॐ = अ+उ+म+(ँ) अर्ध तन्मात्रा । ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है । म कार कारण जगत का आधार है । अर्ध तन्मात्रा (ँ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी फर्क नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है ।
🔸ॐ आत्मिक बल देता है । ॐ के उच्चारण से जीवनशक्ति उर्ध्वगामी होती है । इसके सात बार के उच्चारण से शरीर के रोग को कीटाणु दूर होने लगते हैं एवं चित्त से हताशा-निराशा भी दूर होतीहै । यही कारण है कि ऋषि-मुनियों ने सभी मंत्रों के आगे ॐ जोड़ा है । शास्त्रों में भी ॐ की बड़ी भारी महिमा गायी गयी है ।
🔸भगवान शंकर का मंत्र हो तो ॐ नमः शिवाय । भगवान गणपति का मंत्र हो तो ॐ गणेशाय नमः। भगवान राम का मंत्र हो तो ॐ रामाय नमः । श्री कृष्ण मंत्र हो तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । माँ गायत्री का मंत्र हो तो ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इस प्रकार सब मंत्रों के आगे ॐ तो जुड़ा ही है ।
पतंजलि महाराज ने कहा हैः तस्य वाचकः प्रणवः। ॐ (प्रणव) परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है ।
🔸ॐ के रहस्य को जानने के लिए कुछ प्रयोग करने के बाद रूस के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो उठे । उन्होंने प्रयोग करके देखा कि जब व्यक्ति बाहर एक शब्द बोले एवं अपने भीतर दूसरे शब्द का विचार करे तब उनकी सूक्ष्म मशीन में दोनों शब्द अंकित हो जाते थे । उदाहरणार्थ, बाहर के क कहा गया हो एवं भीतर से विचार ग का किया गया हो तो क और ग दोनों छप जाते थे। यदि बाहर कोई शब्द न बोले, केवल भीतर विचार करे तो विचारा गया शब्द भी अंकित हो जाता था ।
🔸किन्तु एकमात्र ॐ ही ऐसा शब्द था कि व्यक्ति केवल बाहर से ॐ बोले और अंदर दूसरा कोई भी शब्द विचारे फिर भी दोनों ओर का ॐ ही अंकित होता था। अथवा अंदर ॐ का विचार करे और बाहर कुछ भी बोले तब भी अंदर-बाहर का ॐ ही छपता था ।
🔸समस्त नामों में ॐ का प्रथम स्थान है। मुसलमान लोग भी अल्ला होssssss अकबर........ कहकर नमाज पढ़ते हैं जिसमें ॐ की ध्वनि का हिस्सा है ।
🔸सिख धर्म में भी एको ओंकार सतिनामु...... कहकर उसका लाभ उठाया जाता है । सिख धर्म का पहला ग्रन्थ है, जपुजी और जपुजी का पहला वचन हैः एको ओंकार सतिनामु.........
🔹 रविवार विशेष🔹
🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।
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