VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 14
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा दोपहर 03:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक - 29 सितम्बर 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - वृद्धि रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से 12:30 तक
⛅सूर्योदय - 06:30
⛅सूर्यास्त - 06:29
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:06 से 12:54 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - भाद्रपदी पूर्णिमा, महालय श्राद्धारम्भ, प्रतिपदा का श्राद्ध, गुरु अमरदासजी पुण्यतिथि
⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹महालय श्राद्ध🌹
🔸पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023
🔸 29 सितम्बर 2023, शुक्रवार- पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध, महालय श्राद्धारम्भ
🔹श्राद्ध में रखें ये सावधानियाँ🔹
🌹 पितरों को खिलाये बिना नहीं खायें । पराया अन्न भी नहीं खाना चाहिए ।
🌹श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल-मालिश, स्त्री-सम्भोग, संग्रह आदि न करें ।
🌹श्राद्ध का भोक्ता दुबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करें । श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें ।
🌹श्राद्ध करनेवाला व्यक्ति ३ से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलायें ।
🌹श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आये ।
🔹श्राद्ध में उत्तम क्या ?🔹
🔹तीन चीजें श्राद्ध में प्रशंसनीय हैं :
(१)शुद्धि
(२) अक्रोध
(३) अत्वरितता : जल्दबाजी नहीं, धैर्य ।
🔹तीन चीजें श्राद्ध में पवित्र होती हैं :
(१) तिल
(२) बेटी का बेटा दौहित्र
(३) कुतपकाल
🔹 सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक विशेषकाल माना जाता है । थोड़ा आगे-पीछे हो जाय तो कोई बात नहीं लेकिन इस काल में श्राद्ध की विशेष पवित्रता होती है ।
🌹श्राद्धकाल में सात विशेष शुद्धियों का ध्यान रखना चाहिए :
(1) नहा-धोकर शरीर शुद्ध हो ।
(2) श्राद्ध की द्रव्य-वस्तु शुद्ध हो ।
(3) स्त्री शुद्ध हो, मासिक धर्म में न हो ।
(4) जहाँ श्राद्ध करते हैं वह भूमि शुद्ध हो । गोझरण से, देशी गाय के गोबर से लीपन की हुई हो ।
(5) मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें ।
(6) ब्राह्मण भी शुद्ध भाववाला हो और तम्बाकू, जर्दा आदि का सेवन न करता हो ।
(7) मन को भी शुद्ध रखें ।
🔹श्राद्धयोग्य तिथियाँ (भाग-१)🔹
🔹ऊँचे में ऊँचा, सबसे बढ़िया श्राद्ध श्राद्धपक्ष की तिथियों में होता है । हमारे पूर्वज जिस तिथि में इस संसार से गये हैं, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ होता है ।
🔹जिनके दिवंगत होने की तिथि याद न हो, उनके श्राद्ध के लिए अमावस्या की तिथि उपयुक्त मानी गयी है । बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर बुद्धिमानों को श्राद्ध करना चाहिए ।
🔹जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती। वह पर्व का पूर्ण फल भोगता है ।
🔹इसी प्रकार प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती ।
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