उदय निधि स्टालिन जो सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर चुका है इस व्यक्ति को लेकर देश में चारों तरफ जोरदार विरोध हुआ लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि हमारे देश का कानून जो सबके लिए समान बताया जाता है वह ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध एफआईआर तक दर्ज नहीं करता। FIR तक दर्ज करवानेंके लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है। आप सोचिए FIR दर्ज हो गई तो ये कानून क्या कार्यवाही करेगा???
यह हमारे देश के कानून की विफलता ही है कि ऐसा व्यक्ति जब पूरी दुनिया के सामने खड़ा होकर सनातन के विरुद्ध जहर उगलता है, सनातन को खत्म करने की बात करता है तब इसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होती जिस कारण अन्य लोग भी इसका साथ देते हैं और वह भी सनातन के विरुद्ध अपनी घृणित मानसिकता का परिचय देते हुए करोड़ों सनातनियों की भावनाओं को आहत करते हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध बड़े बड़े सनातनी संगठनों का भी कोई कठोर एक्शन दिखा नहीं ये सबसे अधिक निराशाजनक रहा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चेन्नई के वकील बी जगन्नाथ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि उन्हें हाईकोर्ट जाना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वे सीधे सुप्रीम कोर्ट कैसे आ गए? क्या वह सुप्रीम कोर्ट को पुलिस स्टेशन बनाना चाहते हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए मजबूर थे। उदयनिधि के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए थे, लेकिन मंत्री होने के चलते FIR दर्ज नहीं हो सकी।
उन्होंने अपना तर्क देते हुए यह भी कहा कि यदि कोई खास समुदाय या लोगों का समूह सनातन धर्म के खिलाफ चिल्लाए तो समझ आता है, लेकिन जब कोई सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर स्कूली विद्यार्थियों को एक धर्म के खिलाफ बोलने के लिए कहता है तो मामला चिंताजनक हो जाता है। वकील ने सवाल किया कि क्या कोई संवैधानिक पद में रहते हुए इस तरह के बयान दे सकता है?
याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करने पर अपनी सहमति दी। सुनवाई करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और उदयनिधि सहित विभिन्न पक्षकारों से जवाब माँगा है।
क्या है मामला
दरअसल, उदयनिधि ने सनातन धर्म मिटाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।”
उदयनिधि ने कहा था, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है। हम केवल उसका विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”
उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा, “सनातन क्या है? सनातन नाम संस्कृत से आया है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन का यही अर्थ है।”
वहीं, डीएमके सांसद ए राजा ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म की तुलना एचआईवी और कुष्ठ रोग जैसी सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए।