गांव चौबेपुर के पास शिवलिंग की आकृति मिली इसके मुख पर भगवान शिव की शांत मुद्रा, जटामुकुट, गोल कुंडल, गले की माला तथा सूक्ष्म नक्काशी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। मूर्ति का ऊपरी भाग गोलाकार लिंग रूप में है जबकि सामने की दिशा में एक विशिष्ट मुख उकेरा गया है जो इसे अत्यंत दुर्लभ बनाता है। लेकिन कुछ लोग इसे जबरन भगवा बुद्ध की मूर्ति सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं
यह मूर्ति BHU के प्रोफेसर को एक ग्रामीण के खेत में तब मिली जब वे अपने गांव के साथियों के साथ वहां एक दाह संस्कार में सम्मिलित होने गए। इस प्राचीन मूर्ति का अध्ययन और अवलोकन कर प्रमुख पुरातत्वविद बीएचयू के डा. सचिन तिवारी, डा. राकेश तिवारी और प्रोफेसर वसंत शिंदे ने इसके नौंवी-दसवीं सदी ईस्वी की गुर्जर-प्रतिहार काल का होना बताया है। मूर्ति शिल्प काशी–सारनाथ कला परंपरा से प्रभावित है। मूर्ति के मस्तक पर तीसरी आंखे और बालों में डमरू है ... जो सिद्ध करता है कि ये शिवलिंग है..

