आप पूरे भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में जाएंगे वहां हजारों गाड़ियां सड़ती हुई आपको दिखेंगे
यह गाड़ियां पूरी तरह से सड़ जाती हैं और एक अनुमान के मुताबिक भारत को हर साल लगभग 20000 करोड रुपए का नुकसान हो जाता है
ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1872 में ब्रिटिश एविडेंस एक्ट 1872 पारित किया था इसके अनुसार अपराधी के पास बरामद सारी चीजें एविडेंस के तौर पर पेश की जाएंगी और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा
मुझे लगता है 1872 में साईकिल का भी अविष्कार नहीं हुआ था फिर जब यही कानून ब्रिटिश सरकार ने भारत पर लागू कर दिया फिर यह भारतीय एविडेंस एक्ट 1872 बन गया
यानी यदि कोई अपराधी अपराध किया है फिर उसे पकड़ा जाता है तो वो जिस गाड़ी में होगा उस गाड़ी को भी एविडेंस बना लिया जाता है या किसी गाड़ी में अपराध हुआ है तो उसे भी एविडेंस एक्ट के तहत जप्त कर लिया जाता है या फिर दो गाड़ियों का एक्सीडेंट हुआ है तब दोनों गाड़ियों को एविडेंस एक्ट में जप्त कर लिया जाता है
मुझे आश्चर्य होता है किस सरकारी वाहनों को इनसे मुक्त क्यों रखा गया है अगर ट्रेन में अपराध होता है तो मैंने आज तक नहीं देखा की पुलिस पूरी ट्रेन को जप्त कर के थाने में खड़ा की हो या किसी सरकारी बस में कोई अपराध हुआ हो या सरकारी बस या विमान में कोई मुजरिम पकड़ा गया हो तो पुलिस ने एविडेंस एक्ट के तहत सरकारी बस या विमान को उठाकर थाने में रखा हो
और यह जितने भी वाहन पकड़े जाते हैं यह जब तक केस का फाइनल फैसला नहीं आ जाता तब तक थाने में पड़े रहते हैं और गर्मी बारिश सब झेलते हैं
और आपको तो पता ही है कि भारत में 50 से 60 साल मुकदमे की सुनवाई में लग जाती है तब तक यह वाहन पूरी तरह से सड़ जाते हैं और जब केस का निपटारा हो जाता है तब यह वाहन कबाड़ तो छोड़िए सड़कर खाद बन जाते हैं
मोदी जी ने एक बार कहा था कि हमने ब्रिटिश जमाने से चले आ रहे बहुत से कानूनों में बदलाव किया है लेकिन अब इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में भी बदलाव करने की जरूरत है
सोचिए कि एक वाहन बनाने में कितने घंटे की मजदूरी कितनी पावर कितना कच्चा माल लगा होगा और वह सब कुछ सड़ जाता है किसी के काम नहीं आता.
इस कानून में भी बदलाव करो
बहुत बढ़िया सुझाव दिया माननीय आपने, और मुझे लगता है कि अब इस ओर भी संसद की दीवारों से कानून को संशोधन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteजय श्री राम