गुलाम नबी आजाद जो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं और हाल ही में इन्होंने कांग्रेस को छोड़कर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी बनाई है उनका 9 अगस्त का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह बता रहे हैं कि मुसलमानों के पुरखे हिंदू ही थे साथ ही 600 वर्ष पहले कश्मीर में मुस्लिमों के ना होने की बात भी कही।
उपरोक्त वीडियो 9 अगस्त का जम्मू कश्मीर के डोडा के चिल्लर गांव की एक सभा का बताया जा रहा है जहां गुलाम नबी आजाद संबोधित कर रहे हैं। इस सभा में बड़ी संख्या में मुसलमान भी उपस्थित थे और उनके सामने ही गुलाम नबी आजाद ने कुछ सच्चाई रखी।
सावधान! ये बातें कह देने से गुलाम नबी आजाद दूध के धुले नहीं हो गए क्योंकि हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने के खेल में वो भी सम्मिलित थे ये भी पढ़िए सत्ता थी तो गुलाम नबी आजाद भी थे तुष्टिकरण के ही ठेकेदार, आज बता रहे कश्मीर में कभी सब हिंदू ही थे: अब्दुल्ला-मुफ्ती की तरह ही किया ‘लैंड जिहाद’. Read More at https://hindi.opindia.com?p=948845
वीडियो में गुलाम नबी कह रहे हैं, “मैं संसद में भी यह बात कह चुका हूँ। लेकिन बहुत सारी चीजें आप तक नहीं पहुँचती है। चर्चा के दौरान बीजेपी के एक नेता मुझे बता रहे थे कि कौन बाहर से आया है और किसका इस जमीन से ताल्लुक है। मैंने उनसे कहा कि यह अंदर-बाहर का मसला नहीं है। हमारे हिंदुस्तान में इस्लाम तो वैसे भी 15 सौ साल पहले ही आया है। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। जो लोग (मुस्लिम) बाहर से आए होंगे, वो केवल 10-20 होंगे और वो भी उस वक्त मुगलों की फौज में थे। बाकी तो सब यहाँ (भारत) हिंदू से कन्वर्ट हुए मुसलमान हैं।”
‘कश्मीर में 600 साल पहले मुस्लिम नहीं थे’
अपने संबोधन के दौरान आजाद ने यह भी बताया कि 600 साल पहले कश्मीर में कोई मुस्लिम नहीं था। सब कश्मीरी पंडित थे। सब इस्लाम अपनाकर मुस्लिम बने हैं। उन्होंने कहा, “मैं आपसे इस 9 अगस्त की अहमियत को देखकर कहना चाहूंगा कि हमने हिंदू, मुसलमान, राजपूत, ब्राह्मण, दलित, कश्मीरी गुर्जर मिलकर सबने इस घर (भारत) को बनाना है। ये हमारा घर है। यहाँ कोई बाहर से नहीं आया। सब यहीं इसी मिट्टी (भारत) की पैदावार हैं इसी मिट्टी में खत्म होना है।”
आजाद ने कहा, “हमारे हिंदू भाई मरते हैं, वो जलते हैं। उनके भाई उन्हें जलाते हैं। उसके बाद उनको दरिया में डालते हैं। वो दरिया का पानी हम पी जाते हैं। बाद में आगे कौन देखता है कि इसमें लाश जली है। इसे घर ले जाकर लोग पीते हैं। ये पानी खेतों में जाता है, तो आखिर वो हमारे पेट में ही जाता है। हमारा मुसलमान तो मरने के बाद सबसे ज्यादा जगह पकड़ता है वो सबसे ज्यादा जमीन पकड़ता है।” उनके ये कहने पर वहाँ मौजूद लोग ठहाके लगाकर हँस पड़े।
उन्होंने आगे कहा, “वो भी इसी जमीन में जाता है। उसका माँस भी हड्डी भी इसी भारत माता की धरती का हिस्सा बन जाता है। तो कहाँ हिंदू, कहाँ मुसलमान, हिंदू भी गया इसी मिट्टी में और मुसलमान में भी इसी में गया और उस जमीन पर अनाज लगाया वो हम सबने खाया। तो ये सब सियासी झगड़े हैं और मैं हमेशा कहता हूँ कि मजहब का सहारा तो ठीक है आप लीजिए, लेकिन राजनीति में जो मजहब का सहारा लेता है वो कमजोर होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि जिसको अपने आप पर विश्वास होगा, भरोसा होगा, वो मजहब का सहारा नहीं लेगा। जो ये कहेगा कि मैं ये करूँगा, वो करूँगा, वो कमजोर है। उसे पहले और बाद में भी कुछ करना नहीं है। वो बस कहेगा मैं हिंदू हूँ मुझे वोट दे दो, मैं मुसलमान हूँ मुझे वोट दे दो। अरे हिंदू को वोट से क्या मतलब भाई, सड़क बनानी है, स्कूल बनाने हैं, नौकरी देनी है। मुसलमान का एमएलए और मंत्री बनने से क्या लेना-देना। काबिल है तो कर सकेगा, नहीं तो नहीं, इसके लिए इस्लाम को क्यों बर्बाद करते हो? अपने धर्म को क्यों बदनाम करते हो? जुल्म क्यों करते हो? नफरत क्यों बाँटते हो?
उन्होंने कहा कि मेरा तो ये पैगाम है कि धर्म हम सबका अपनी जगह हैं। हमारी बहनें, साथी नौजवान पूजा -पाठ करें। मुसलमान भाई दुआएँ करें, रोजे रखें इबादत करें, उसमें कोई मना नहीं हैं, लेकिन राजनीति में आएँ तो न धर्म के आधार पर वोट माँगे। न जीत जाने पर धर्म के नाम पर इंसाफ करें।