पाकिस्तान से बिना वीजा नोएडा आई सीमा हैदर को पाकिस्तान डिपोर्ट किया जा सकता है। यूपी के विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने इसके संकेत दिए हैं।
लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय के सीनियर पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि केंद्रीय एजेंसियों को सीमा के डिपोर्ट को लेकर फैसला लेना है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की रहने वाली सीमा के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह आईएसआई एजेंट हो सकती है। कुछ एक्सपर्ट स्लीपर सेल की भी बातें कर रहे हैं।
पाकिस्तान से भारत भारत आई सीमा हैदर को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. सीमा के भाई और रिश्तेदार के पाक सेना में होने का खुलासा भी हुआ है. कई दस्तावेजों से पुलिस का शक बढ़ा है. एटीएस को शक- ATS को शक है कि पूछताछ के दौरान सीमा गुमराह कर रही है.
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ATS के सवालों पर उलझ गई सीमा - सीमा ने सेना के अधिकारी को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजी थी, लेकिन क्यों ये नहीं बताया। 8 मई को पासपोर्ट जारी हुआ तो 10 मई को ही कैसे छोड़ दिया पाकिस्तान। पाकिस्तान से नेपाल दस्तावेज लेकर आई और भारत में दाखिल हुई तो एक सिम नेपाल में क्यों फेंका। 70 हजार के मोबाइल को दो-तीन दिन में ही क्यों फेंक दिया। सीमा ने शुरू से बताया कि उसने 12 लाख में पाकिस्तान में घर बेचा और फिर उस पैसे से भारत आई। लेकिन मकान बेचने की अब तक पुष्टि नहीं हो सकी है। वहां उसके किराए के घर में रहने की बात की पुष्टि हुई है। सीमा ने किसके जरिए मकान बेचा, पैसा कैसे आया, सीधे बैंक में या कैश में, इन सवालों के जवाब भी वह नहीं दे पा रही है। पासपोर्ट बनवाने व टिकट कराने के लिए सीमा एजेंट तक कैसे पहुंची, यह भी ऐसा सवाल है, जिसका स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। सीमा ने नेपाल से सीतामढ़ी (बिहार) के रास्ते भारत में घुसपैठ करने की बात स्वीकार की है। सीमा को किससे आर्थिक सहयोग मिला इसका जवाब भी उसके पास नहीं है। सीमा ने उसके पिता व भाई के पाकिस्तानी सेना में होने की बात से इनकार किया है। सीमा ने बताया उसका भाई पाकिस्तान सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है। पहचान पत्र के हिसाब से सीमा की उम्र महज 21 वर्ष है, जबकि सीमा ने पूछताछ में बताया है कि वह 27 वर्ष की है और चारों बच्चे उसी के है। उम्र में इतना अंतर क्यों ये नहीं बता पाई।
अपने देश में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिक की पहचान और उसे डिपोर्ट करने का फैसला इमिग्रेशन विभाग के जरिए गृह मंत्रालय लेता है। इसकी एक प्रक्रिया है और यह काम फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी FRRO करता है। अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों को पहले गिरफ्तार किया जाता है। इसके बाद कोर्ट में उनके खिलाफ केस चलाने की बजाय डिपोर्ट कर दिया जाता है। गिरफ्तारी के फौरन बाद ऐसे लोगों को FRRO में पेश किया जाता है, जहां से इन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने का आदेश जारी होता है। इसके बाद इन्हें इनके देश डिपोर्ट करने में 15 से 60 दिन लग जाते हैं। अलग-अलग शहरों में ऐसे ऑफिस और डिटेंशन सेंटर बने हैं।