नाम पर इतना मत इतराइए , सब कुछ नाम से नहीं होता !
याद है न कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने एक बहुत बड़ा नारा दिया था ?
शायद I.N.D.I.A. से भी बड़ा , कम से कम उस जमाने में तो उससे बड़ा कोई नारा था ही नहीं !
नारा था -
इंदिरा इज इंडिया
इंडिया इज इंदिरा
परिणाम क्या निकला जानते हैं न ?
इंदिरा खुद अपना चुनाव भी हार गई और उस जमाने में इंडिया के बेताज बादशाह संजय गांधी भी चुनाव हार गए !
तभी तो कहा है कि नाम में क्या रखा है , काम बोलता है ?
काका ने एक दिलचस्प कविता लिखी थी - नाम बड़े और दर्शन छोटे । बड़ी दिलचस्प कविता थी । नामों ने लेकर काका ने और भी कईं कविताएं लिखी हैं । जहां तक गठबंधन के इंडिया की बात है , यह नाम राहुल ने दिया , सभी ने स्वीकार कर लिया । विपक्ष के बुलावे के बावजूद प्रधानमंत्री संसद भवन तो नहीं गए लेकिन सदन के बाहर मोदी ने इंडिया नाम पर सख्त टिप्पणी की । ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहदीन से तुलना करने पर कांग्रेस भड़क गई । दरअसल इंडिया है क्या ? पहले ये तो बता दीजिए ।
इस देश का नाम भारत है , भारतवर्ष है , आर्यावर्त भारत है । तो फिर इंडिया नाम कहां से आया ? देश में मुगल आए तो उन्होंने इस देश को इंडिया या मुगलिस्तान नाम नहीं दिया । मुगलकाल में भारत को हिन्दुस्तान नाम दिया गया था । INDIA नाम तो हिंदुकुश दर्रे के नाम पर पड़ा , जिसे ईस्ट इण्डिया कम्पनी इंदुकुश और इंडस वैली कहकर पुकारती थी । वहीं से निकला इंडिया नाम जो अंग्रेजों ने दिया । याद है न कांग्रेस नाम भी उस अंग्रेज ने दिया था जिसने पार्टी की स्थापना की थी ।
तो फिर राहुल ने विपक्षी अलाइंस को भारतवर्ष के बजाय इंडिया नाम देकर क्या बुरा किया ? क्यों दिया यह खुद ही समझ लीजिएगा ? जाने भी दीजिए नाम में क्या रक्खा है । विपक्षी अलाइंस का यह असली नाम थोड़े ही है ? असली नाम तो पूरे 26 हैं , जो सदा रहने वाले हैं । आश्चर्य की बात यह भी है कि इन 26 दलों में से 25 दलों का जन्म कांग्रेस पार्टी के खिलाफ संघर्ष करते हुए हुआ । आज वे सभी कांग्रेस द्वारा दिए इंडिया नाम के नीचे गोलबंद हैं ।
संभावना है कि इन्हीं विपक्षी दलों का इंडिया आज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए । भारतीय लोकतंत्र की यात्रा में इंडिया जैसा प्रयोग कईं बार हो चुका है । इससे पहले इंदिरा कांग्रेस , कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी और पुरानी कांग्रेस बनाकर तो कभी जनता पार्टी , जनता दल , तिवारी कांग्रेस या यूपीए बनाकर गठबंधनीय प्रयोग होते रहे । एक एक कर सभी काल कवलित हो गए । अब दो हैं । एनडीए बनाम इंडिया । तो ठीक है INDIA का कोई एक फेस चुनिए और काम पर चलिए ?