GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक १२
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आज का पंचांग
शुक्रवार २१/०७/२०२३
श्रावण शुक्ल ४ , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 06:58 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक - 21 जुलाई 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - अधिक श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा सुबह 01:58 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - व्यतिपात दोपहर 12:24 तक तत्पश्चात वरियान
⛅राहु काल - सुबह 11:06 से 12:46 तक
⛅सूर्योदय - 06:05
⛅सूर्यास्त - 07:26
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:23 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, व्यतिपात योग (दोपहर 12:24 तक)
⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔸पंचमहाभूतों के तन्मात्रों की रचना🔸
🔸पंचमहाभूतों के सात्त्विक तन्मात्र से मन और ज्ञानेन्द्रियाँ बनती हैं, राजस तन्मात्र से कर्मेन्द्रियाँ और प्राण बनते हैं तथा तामस तन्मात्र से विषय और बाह्य पदार्थ बनते हैं ।
🔸मन चार प्रसिद्ध हैं : मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार । इसीको अंत:करण-चतुष्टय कहते हैं ।
🔸ज्ञानेन्द्रियाँ पाँच है : श्रोत (कान), त्वक (त्वचा), चक्षु (नेत्र), रसना (जिव्हा) और घ्राण (नासिका) ।
🔸कर्मेन्द्रियाँ पाँच है : वाक्, पाणि (हाथ), पाद (पैर), उपस्थ (जननेंद्रिय) और पायु (गुदा) ।
🔸प्राण दस है : इनमें पाँच मुख्य प्राण है – प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान ।
🔸पाँच उपप्राण हैं - नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त और धनंजय ।
🔹बाल काले व मजबूत बनाने की युक्तियाँ🔹
🔸नींबू रस और आँवला रस मिलाकर सिर पर लगा दो अथवा तो केवल आँवले का रस लगा दो । १५ – २० मिनट बाद नहाओ तो आँवले का रस सिर की गर्मी खींच लेगा ।
🔸बाल जल्दी सफेद नहीं होंगे और बालों की जड़े कमजोर नहीं होगी, बाल बने रहेंगे । यदि आँवले का रस नही मिले तो आँवले के चूर्ण को रात को पानी में भिगो दो और सुबह उसीका उपयोग कर लो ।
🔹आरती में कपूर का उपयोग🔹
🔸कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है । इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है । घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है ।
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