GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक ०३
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आज का पंचांग
बुधवार १२/०७/२०२३
श्रावण कृष्ण १०, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी शाम 05:59 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक - 12 जुलाई 2023
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - भरणी शाम 07:43 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - धृति सुबह 09:40 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल - दोपहर 12:45 से 02:26 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:37 से 05:19 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:07 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹कामिका एकादशी - 13 जुलाई 2023🌹
एकादशी 12 जुलाई शाम 05:59 से 13 जुलाई शाम 06:24 तक
व्रत उपवास 13 जुलाई गुरुवार को रखा जायेगा ।
🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🔹विविध रोगनाशक रसायन - पुनर्नवा🔹
🔸पुनर्नवा श्रेष्ठ गुणकारी, बलप्रद (टॉनिक), धातु पोषक एवं रोगनाशक औषधि है । यह हिन्दी में लाल पुनर्नवा, सांठ, गुजराती में साटोड़ी, मराठी में घेटुली तथा अंग्रेजी में केसुशशव और Horse-purslane नाम से जानी जाती है ।
🔸पुनर्नवा यकृत (लीवर) का कार्य सुधारकर रक्त की वृद्धि व शुद्धि करती है । शरीर की सूजन उतारती है, भूख बढ़ाती है । यह आँखों के लिए भी बहुत हितकारी है । गुर्दे (किडनी) की खराबी तथा मूत्रगत तकलीफों में पुनर्नवा विशेष असरकारक है । मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों आदि में फायदेमंद है । पुनर्नवा का रसायन कार्य पुनर्नवा शरीर में संचित मलों को मल-मूत्र आदि द्वारा बाहर निकाल के शरीर के पोषण का मार्ग खुला कर देती है ।
🔹रसायन-प्रयोग: 🔹
🔸(१) पुनर्नवा के ताजे पत्तों के १५-२० मि.ली. रस में एक चुटकी काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लें ।
🔸(२) ताजी पुनर्नवा की २० ग्राम जड़ पीस के दूध के साथ एक वर्ष तक लेने से जीर्ण शरीर भी नया हो जाता है ।
🔸ताजी पुनर्नवा उपलब्ध न होने पर ५ ग्राम पुनर्नवा चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं । विविध रोगनाशक प्रयोग पुनर्नवा के पंचांग या मूल का ३ ग्राम चूर्ण शहद या गुनगुने पानी से सुबह-शाम लें । यह सूजन, मूत्राल्पता, हृदय विकार आदि विविध रोगों में अत्यंत लाभकारी है । पुनर्नवा ताजी न मिले तो पुनर्नवा गोलियाँ व अर्क सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों में उपलब्ध हैं ।
🔹न करने जैसी शारीरिक क्रियाएँ🔹
🔸पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके हजामत बनवानी चाहिए । इससे आयु की वृद्धि होती है । हजामत बनवाकर बिना नहाये रहना आयु की हानि करने वाला है । (महाभारत, अनुशासन पर्व)
🔸अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए ।
🔸मलिन दर्पण में मुँह न देखें । (महाभारत, अनुशासन पर्व)
🔸सिर पर तेल लगानि के बाद उसी हाथ से दूसरे अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए । (महाभारत, अनुशासन पर्व)
🔸पुस्तकें खुली छोड़कर न जायें । उन पर पैर न रखें और उनसे तकिये का काम न लें । धर्मग्रन्थों का विशेष आदर करते हुए स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए । उँगली मे थूक लगाकर पुस्तकों के पृष्ठ न पलटें ।
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