विधि आयोग ने आज 14 जून को कहा के 22 वें विधि आयोग ने UCC के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया है आयोग ने कहा कि जिन लोगों को इसमें रूचि है और अपनी राय देना चाहते हैं वे राय दे सकते हैं।
30 दिन के भीतर भारत सरकार के विधि आयोग को membersecretary-Lci@Gov.in पर ईमेल द्वारा राय भेज सकते हैं।
कानूनी पैनल ने आगे कहा, “शुरुआत में भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर विषय की जाँच की थी और 7 अक्टूबर 2016 को एक प्रश्नावली दी थी। इसके साथ ही, 19 मार्च 2018 एवं 27 मार्च 2018 और 10 अप्रैल 2018 की सार्वजनिक अपील/नोटिस देकर सभी हितधारकों को अपने विचार रखने का अनुरोध किया था।”
विधि आयोग ने अपने बयान में कहा कि इस अपील पर लोगों से उसे भारी प्रतिक्रिया मिली थी। इसके बाद 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ पर परामर्श पत्र जारी किया थी।
पैनल ने कहा कि चूंकि परामर्श पत्र जारी किए हुए तीन साल से अधिक समय बीत चुका है। ऐसे में विषय की प्रासंगिकता और महत्व को ध्यान में रखते हुए तथा इस विषय पर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए भारत के 22वें विधि आयोग ने इस पर पहल करना जरूरी समझा।
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है, जो देश के हर समुदाय पर समान रूप लागू होता है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या पंथ का हो, सबके लिए एक ही कानून होगा। अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े कानूनों को भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम (ICA) 1872, विशिष्ट राहत अधिनियम 1877 आदि के माध्यम से सारे समुदायों पर लागू किया, लेकिन शादी-विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति, गोद लेने आदि से जुड़े मसलों को धार्मिक समूहों के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया।
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिंदुओं के पर्सनल लॉ को खत्म कर दिया, लेकिन मुस्लिमों के कानून को ज्यों का त्यों बनाए रखा। हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया। ये कानून हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख आदि पर समान रूप से लागू होते हैं।
I m in favour of UCC, it is must
ReplyDeleteYes,i.am.agree U.C.C.
ReplyDeleteUCC देशहित में जल्द लागू होना चाहिए।
ReplyDeleteदेश हित के लिए बहुत ही जरूरी है 🚩जय श्रीराम 🚩
ReplyDeleteUCC kanun jald se jald lagu ho
Deleteसमान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए
Deleteधर्म निरपेक्ष देश में सबके लिए कानून समान होना चाहिए। तभी देशकी तरक्की संभव है।
ReplyDeleteजल्द से जल्द UCC लागूं हो बिलकुल लागूं होना चाहिए UCC
ReplyDelete🚩जय श्री राम 🙏🏻🚩
सर्वधर्म समभाव तभी होगा जब समान नागरिक संहिता लागू होगी इसके लिए समान नागरिक संहिता का हम समर्थन करते हैं
ReplyDeleteYes agree with UCC
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ReplyDeleteSuch a law is needed in the interest of the country.
Jai Hind 🇮🇳
Such a law is needed in the interest of the country.
ReplyDeleteYes I agree with UCC
ReplyDeleteUCC लागू होना चाहिए ऑर इसमे जिनके दो बच्छेसे जादा हो उनका voting अधिकार निकाल लेना चाहिए
ReplyDeleteThis law is very important in the interest of the country.
ReplyDeleteJai hind
सुझाव यहां नहीं देने है विधि मंत्रालय के मेल पर देने है
ReplyDeletemembersecretary-lci@gmail.com
यह कानून जल्द से जल्द लागू हो
ReplyDeleteमैं इस समान नागरिक संहिता का सम्मान व स्वागत करता हूँ,देश हित मे यह ऐतिहासिक परिवर्तन की वर्तमान पारिस्थित मे लागू करना अतिआवश्यक है
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