यह पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब दौड़ रही है जोकि 100% सच है । अयोध्या में यहाँ की रियासतों ने खून दिया था राम मन्दिर के लिए ! पण्डित जी ने नेतृत्व किया था
! 174000 लाशे गिरी थीं !
यह थे पण्डित श्रीराम मंदिररक्षक पण्डित देवीदीन पाण्डे
पंडित देवीदीन जो सनेथू गांव अयोध्या के रहने वाले थे, जिनका जन्म सर्यूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वो एक कर्मकांडी पुरोहित थे लेकिन जब मुग़ल सेना राममंदिर को ध्वस्त करने के उद्देश्य से अयोध्या की ओर बढ़ी तब पण्डित देवीदीन पाण्डे ने पुरोहित का कार्य त्यागकर आसपास के ब्राह्मणों व क्षत्रियों को लेकर बाबर सेना के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार उठा लिया और मीर बाकी के नेतृत्व वाली मुगल सेना से युद्ध किया।
ये युद्ध इतना विकराल था की युद्ध करते समय पण्डित जी ने ७०० मुगलों को अपने हाथों से काट डाला। एक मुगल सैनिक ने पण्डित जी के पीछे आकर तलवार से ऐसा वार किया कि वह तलवार पण्डित जी का ऊपरी सर काटते हुए आर-पार हो गई और उनका सिर दो भागों में फट कर खुल गया। लेकिन उन्होंने अपने गमछे से सर को बांधकर लड़ाई लड़नी शुरू कर दी और अंत में मुगल सैनिकों द्वारा एक के बाद एक किये गए वार से वे काफी घायल हुए और वहीं पर वीरगति को प्राप्त हुए !
सेनापति देवीदीन के वीरगति प्राप्त हो जाने के बाद मुगल सेना जीत गई ! पण्डित जी ने अपने जीवित रहते श्रीराममंदिर को आंच नहीं आने दी।
इतिहासकार कनिंघम अपने 'लखनऊ गजेटियर' के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखता है कि 1,74,000 हिन्दुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीर बाकी राममंदिर ध्वस्त करने के अभियान में सफल हुआ।
हिंदू (सनातनी) वही है जो समय और परिस्थिति के अनुशार ढल जाए धर्म के प्रचार हेतु ब्राह्मण, धर्म की रक्षा हेतु क्षत्रिय, समाज के पालन हेतु वैश्य तो समाज का आधार बने शुद्र
पंडित जी को हाथ जोड़कर नमन🙏🙏
जय सियाराम 🙏🙏