GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक २०
आज का पंचांग
गुरुवार १५/०६/२०२३
आषाढ़ कृष्ण द्वादशी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:32 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅दिनांक - 15 जून 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - भरणी दोपहर 02:12 तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅योग - सुकर्मा रात्रि 02:03 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:03 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:26
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:01 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, षडशीति-मिथुन संक्रांति
⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) एवं त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹षडशीति संक्रांति : 15 जून 2023 🌹
🌹पुण्यकाल : शाम 06:29 से सूर्यास्त तक
🌹षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण
🔹प्रदोष व्रत - 15 जून 2023🔹
🌹 जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है । प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है । जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, वह समय शिव पूजा व गुरु पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
🔹भोजन सम्बन्धी कुछ नियम🔹
🔸सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम है:- (भाग -३)
👉 (१९)सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कडुवा खाना चाहिए ।
मधुरलवणकटु - एवं क्रमेण खादनीयम्।
👉 (२०)थोडा खाने वाले को - आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुन्दर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है ।
अल्पहारिणा आरोग्यं च आयु: च बलं च सुखं च रूपवान् पुत्र: च सौन्दर्यं च लभ्यन्ते ।
👉 (२१) जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए ।
यः प्रचारं कृत्वा भोजयते तत्र कदापि न भोक्तव्यम्।
👉 (२२) कुत्ते का छुवा, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राध का निकाला, बासी, मुंह से फूक मारकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन, अनादर युक्त, अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे ।
👉 (२३) कंजूस का, राजा का, वेश्या के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए ।
कृपणेन च राज्ञा च गणिकया च मद्यविक्रेत्रा च दत्तं भोजनं कदापि न खादितव्यम्।
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