GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक १७
आज का पंचांग
सोमवार १२/०६/२०२३
आषाढ़ कृष्ण नवमी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - नवमी सुबह 10:34 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक - 12 जून 2023
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद दोपहर 01:49 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - आयुष्मान सुबह 07:53 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहु काल - सुबह 07:35 से 09:17 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:25
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:00 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹भोजन सम्बन्धी कुछ नियम🔹
🔸सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम है:- (भाग -१)
👉 (१)पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
पञ्चाङ्गं सम्यक् प्रक्षाल्य एव भोजनं कुर्यात् ।(हस्तौ,पादौ च मुखं च)
👉 (२)पैर गीला करके खाने से आयु में वृद्धि होती है ।
पादार्द्रैः भोजनं खादनेन आयुर्वर्धते ।
👉 (३)प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है ।
प्रात: सायं चैव भोजनस्य नियमोऽस्ति ।
👉 ( ४)पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही खाना चाहिए ।
पूर्वाभिमुखः उत्तराभिमुखो वा भूत्वा भुञ्जीत ।
👉 (५)दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना प्रेत कुल में जन्म लेने के समान है ।
दक्षिणाभिमुखं भोजनं भूतकुलजन्मवत् ।
👉 (६) पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
पश्चिमिदिशि भोजनेन रोगर्वर्धते ।
👉 (७)बिछावन पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए ।
शय्यायां, हस्ते स्थापयित्वा, भग्नपात्रेषु भोजनं न ग्रहीतव्यम् ।
👉 (८)मल मूत्र का वेग होने पर , कलह के माहौल में , अधिक शोर में , पीपल और बरगद वृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए ।
मलमूत्रवेगे सति च कलहवातावारणे च भृशं शोरगुले च वटावश्वत्थयो: अध: च भोजनग्रहणं न करणीयम् ।
👉 ९)परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए ।
परिवेषितभोजनस्य निन्दा कदापि न करणीया ।
👉 (१०)खाने से पूर्व अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के उनको धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए ।
भोजनात् पूर्वम् अन्नदेवं अन्नपूर्णां च स्तुतिं कृत्वा तस्मै तस्यै च धन्यवादं च दत्त्वा प्रार्थनीयं यत् सर्वबुभूक्षाणां कृते अन्नं ददातु- इति ।
👉 (११)भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से , मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले तीन रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये ।
यः भोजनं पचति सः शुद्धहृदयेन मन्त्रजपं कुर्वन् स्नानं कृत्वा एव पाकशालायां भोजनं पक्त्वा प्रथमं त्रीणि रोटिका: पृथक् पृथक् बहिः निष्कास्य गोकुक्कुरकाकानां कृते,ततः परं अग्निदेवाय भोजनं समर्पयन् एव परिवारजनेभ्य: भोजयेत् ।
🔹 सोमवार विशेष 🔹
🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।
🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।
🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।
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