इसी लिए तो चुना था न हिंदुओं? खैर अब तुम्हारी पीढ़ियां हिंदू रहेगी कि नहीं ये तो समय बताएगा...लेकिन जिम्मेदार तो आप ही होंगे।
धर्मांतरण सबसे अधिक किसका होता है और धर्मांतरण कौन करता है यह बात किसी से छुपी नहीं है सभी जानते हैं कि हिंदुओं का ही धर्मांतरण सबसे अधिक होता है, और इसे रोकने के लिए बीजेपी ने कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया था लेकिन जैसा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि वह जीतते ही इस कानून को हटा देंगे बस कर्नाटक की जनता ने उन्हें जीता दिया और कांग्रेस ने अपना वादा लगभग पूरा कर लिया है।
अब बाकी राज्यों के हिंदुओं को इस घटना को किस प्रकार लेना है वह तो उनके बुद्धि और विवेक पर निर्भर करता है उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ियों को हिंदू ही रखना है या फिर हिंदू नहीं रखना है यह वह अपने वोट के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे।
कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि कैबिनेट में धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई। हमने 2022 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए बिल को रद्द करने का फैसला लिया है।
कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि कक्षा छह से 10 तक की कक्षाओं में कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की किताबों में संशोधन होगा। शैक्षिक सत्र से आरएसएस संस्थापक हेडगेवार और हिंदूवादी नेता सावरकर के चैप्टर रिमूव किए जाएँगे। इनकी जगह सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गाँधी, नेहरू के पत्रों और बीआर अंबेडकर पर लिखी कविताओं से जुड़े अध्यायों को पाठ्यक्रम में डाला जाएगा।
गौरतलब है कि साल 2021 में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया धर्मांतरण विरोधी विधेयक में धर्मांतरण कराने पर दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया था।
इस बिल में था कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी। इसके अलावा अगर किसी को लगता है कि उसका जबरन धर्मांतरण हुआ या दबाव बना तो वो इस संबंध में शिकायत भी दे सकता है
एक बार फिर कर्नाटक के हिंदुओं को बधाई और उनको शुभकामनाएं जो वोट देने ही नहीं गए थे, क्योंकि उन्हें तो बिना मेहनत किए हो उपहार मिला है।।।।