GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक २1
आज का पंचांग
शुक्रवार १६/०६/२०२३
आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह 08:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 16 जून 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - कृत्तिका दोपहर 03:07 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग - धृति रात्रि 01:23 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:40 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:01 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34/38)
🔸रोजी रोटी की चिंता सताती हो तो..🔸
🔹नित्य नियम से त्रिकाल संध्या करनेवाले के जीवन में किसी के सामने हाथ फैलाने का दिन नहीं आता । त्रिकाल संध्या हमारे आध्यात्मिक स्पन्दनों को विकसित करती है जिससे जीवन में निर्णय लेने की सूझ-भुज बढ़ती है अतः रोजी रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ती है । इसिलए प्रत्येक मनुष्य को त्रिकाल संध्या अवश्य करनी चाहिए ।
🌹 मासिक शिवरात्रि : 16 जून 2023🌹
🌹कर्ज मुक्ति हेतु -
🌹 हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी ।
🌹1) ॐ शिवाय नमः
🌹2) ॐ सर्वात्मने नमः
🌹3) ॐ त्रिनेत्राय नमः
🌹4) ॐ हराय नमः
🌹5) ॐ इन्द्रमुखाय नमः
🌹6) ॐ श्रीकंठाय नमः
🌹7) ॐ सद्योजाताय नमः
🌹8) ॐ वामदेवाय नमः
🌹9) ॐ अघोरहृदयाय नम:
🌹10) ॐ तत्पुरुषाय नमः
🌹11) ॐ ईशानाय नमः
🌹12) ॐ अनंतधर्माय नमः
🌹13) ॐ ज्ञानभूताय नमः
🌹14) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
🌹15) ॐ प्रधानाय नमः
🌹16) ॐ व्योमात्मने नमः
🌹17) ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:
🔹 त्रिदोषशामक आहार है स्वास्थ्य के लिए विशेष हितकारी
🔹 कफ, पित्त और वात – ये त्रिदोष समस्त शरीर को धारण करते हैं । शरीर की सभी क्रियाएँ वात के कारण, रूपांतरण पित्त के कारण व गठन कफ के कारण होता है । जब ये अपने स्वाभाविक रूप में ( अर्थात सम अवस्था में – न घटे हुए न बढ़े हुए ) होते हैं तब शरीर की वृद्धि, बल, वर्ण, प्रसन्नता उत्पन्न करते हैं परंतु जब इनमें से कोई विकृत (विषम) होता है तब शेष दोषों, रस – रक्तादि सप्तधातुओं को दूषित कर रोगों को उत्पन्न करता है । अत: जो खाद्य पदार्थ इन त्रिदोषों का शमन करते हैं उनका सेवन स्वास्थ्य के लिए विशेष हितकारी है ।
🔹त्रिदोषशामक पदार्थ🔹
🔹१] सब्जियाँ : बथुआ, परवल, कोमल मूली, पका पेठा, जीवंती, शलगम ।
🔹२] फल : आँवला, मीठा अनार ।
🔹३] अन्य पदार्थ : पुराने गेंहूँ, सेंधा नमक, पुराना देशी गुड़, घृतकुमारी, धनिया, हल्दी, गुलाब, गिलोय, वर्षा का जल, हरड़, शंखपुष्पी आदि ।
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