आरिफ का आरोप है कि उन्होंने एक हिन्दू को चुनावी सभा में गुलाल से तिलक लगाया था जिसके बाद वो अपने ही मुस्लिम समाज के कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। पीड़ित की माँ की मौत पर भी उनके घर कोई नहीं गया और न ही कोई और उन्हें अपने घर बुलाता है। पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस में की है।
यह बहिष्कार 1 साल से चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला दमोह के तेजगढ़ का है। यहाँ रहने वाले आरिफ शाह ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में बताया है कि उनके घर के आस-पास हिन्दू धर्म के लोग रहते हैं। एक दिन किसी चुनावी सभा में जब लोग एक-दूसरे से मिल रहे थे तब उन्होंने गुलाल ले कर नामदेव नाम के एक हिन्दू के माथे पर टीका लगा दिया था। यह घटना मुस्लिम समाज के लोगों को नागवार गुजरी और उन्होंने आरिफ के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया। इस बहिष्कार का सूत्रधार आरिफ ने अपने मुखिया को बताया है।
इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए 👉 क्लिक करें बाकी इस खबर से ये समझना जरूरी है की ये मुस्लिम समाज हिंदुओं से कितना प्रेम करता है? कभी होली के रंगों से दिक्कत, कभी दीपावली के पठाकों से समस्या, कभी मंदिर की घंटी ,आरती आदि से भावनाएं इनकी आहत हो रही हैं तो कभी हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की दोस्ती से ये गुंडागर्दी पर उतर आते हैं।
लेकिन सही बात है की सभी मुस्लिम एक जैसे नहीं होते और सभी बुरे नहीं होते, पर मान लीजिए यदि आरिफ साह एक अच्छे व्यक्ति हैं एक सेकुलर व्यक्ति हैं तो भी वो सेक्युलरिज्म के लिए क्या कर पाएंगे? एक तिलक लगाना तो उन्हें कितना भारी पड़ गया..
ये कैसे दोहरी मानसिकता है मुसलमानों की , ये चाहते हैं की गैर मुस्लिम लोग जालीदार टोपी पहने, मजारों में जाएं, दरगाहों पर जाएं, ईद मनाई और तो और हिंदू लड़कियां मुस्लिम लड़कों से रिश्ते बनाएं लेकिन हिंदुओं की हर परंपरा से , देवी देवताओं से घृणा करते हैं, ये नहीं चाहते की मुस्लिम लड़की किसी हिंदू लड़के से दोस्ती भी करें
हिंदुओं जागो और लोगों को पहचानो, सेक्युलरिज्म के नाम पर मूर्खता मत करो, जो आपके धर्म को पसंद ना करें, उसे मिटाना चाहें उनका बहिष्कार क्यों नहीं किया जाना चाहिए???.