चातुर्मास में संसार की बागडोर भोलेनाथ के पास रहती है. ऐसे में शिव कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आकर ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. चातुर्मास में भगवान भोलेनाथ धरती पर निवास करते हैं.
आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएंगे. चातुर्मास में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, पाताल में 4 माह तक उनका शयनकाल रहता है. ऐसे में चातुर्मास के समय संसार की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में रहती है. यही वजह है कि चातुर्मास में शिव पूजा अधिक पुण्य फलदायी होती है.
पौराणिक मान्यता है कि चातुर्मास के पहले महीने सावन में शिव जी कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. आइए जानते है चातुर्मास में भगवान भोलेनाथ धरती पर कहां निवास करते हैं.
चातुर्मास 2023 कब से कब तक?
चातुर्मास की शुरुआत 29 जून 2023 से होगी और इसकी समाप्ति 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी पर होगी. इस साल अधिकमास होने से चातुर्मास 5 माह तक रहेगा.
चातुर्मास में पृथ्वी पर यहां रहते हैं शिव
पौराणिक कथाओं के अनुसार चातुर्मास के पहले महीने यानी सावन में शिव अपने ससुराल में निवास करते हैं. ग्रंथों के अनुसार शिव जी का ससुराल हरिद्वार के कनखल में स्थित है, यहीं दक्ष मंदिर में माता सती और महादेव का विवाह हुआ था. शिव जी कनखल में पूरे श्रावण मास दक्षेश्वर रूप में विराजमान रहते हैं. हर साल शिव जी के ससुराल आने को लेकर बेहद रोचक कथा प्रचलित है.
देवी सती के अग्निदाह के बाद हुई ये घटना
शिव पुराण के अनुसार कनखल में देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने प्रसिद्ध यज्ञ का आयोजन किया था, इसमें भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था लेकिन फिर भी देवी सती यज्ञ में गईं. वहां पिता दक्ष ने शिव जी को लेकर कई अपशब्द कहे. देवी सती पति का अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ में अपने प्राणों की आहूति दे दी थी. माता सती के अग्निदाह पर शिव जी के गण वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था.
ये है कैलाश से धरती पर आने का कारण
देवों के देव महादेव ने सभी देवताओं की विनती सुन राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाकर दोबारा जीवनदान दिया. राजा दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से अपने इस कृत्य पर माफी मांगी और शिव जी से वचन लिया था कि हर साल सावन में वो यहां निवास करेंगे, ताकि वह उनकी सेवा कर सकें. मान्यता है कि तभी से चातुर्मास के पहले महीने सावन में भगवान शिव धरती पर आते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं.