केरल के मल्लापुरम में बिहार के एक मजदूर राजेश मांझी की लिंचिंग मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इन आरोपितों की पहचान अफजल, फाजिल, शराफुद्दीन, महबूब, अब्दुसमद, नासिर, हबीब, अयूब और जैनुल के तौर पर हुई है।
36 साल का दलित राजेश माँझी बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के माधवपुर निवासी था। वह मजदूरी के लिए बिहार से केरल गया था। शनिवार को कुछ लोगों ने चोरी का इल्जाम लगाकर उसे मौत के घाट उतार दिया।
कि आरोपितों ने राजेश को डंडों और प्लास्टिक की पाइप से मारा था। फोन की पड़ताल करते हुए उनके वीडियोज मिल गए हैं। आरोपितों ने सीसीटीवी समेत कई सबूत मिटाने की कोशिश की थी।
“हिरासत में लिए गए व्यक्तियों का दावा है कि चोरी के असफल प्रयास के बाद प्रवासी कर्मचारी एक घर की पहली मंजिल से गिर गया। युवक के घर से गिरने के बाद उन्होंने उसे पकड़ लिया और करीब डेढ़ घंटे तक मारपीट करते रहे।” वहीं रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कथित तौर पर आरोपितों ने राजेश को बाँधकर उसके साथ करीब दो घंटे तक मारपीट करने की बात कबूल ली है।
अब ना तो ओवैसी साहब कुछ बोलेंगे जो बार बार मुश्लिमों को पीड़ित बताते हैं और कानून की बातें करते है , माना राजेश ने चोरी भी की हो तो भी क्या उसे ऐसे पीट पीटकर मरने का अधिकार था?
जय भीम जय मीम का नारा लगाने वाले कथित दलित हितचिंतक भी खामोश रहेंगे क्यंकि हत्यारे मुस्लमान हैं ... कांग्रेसी , बुद्धिजीवी और मीडिया भी इस मामले पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे क्योंकि मामला भाजपा शाषित राज्य का नहीं और हत्यारे मुस्लमान हैं..