खबर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की है जहां 12 बच्चियों के यौन शोषण का मामला सामने आया है और मामले का मुख्य आरोपित मोहम्मद अली है जो स्कूल में सरकारी स्कूल में कंप्यूटर टीचर के पद पर कार्यरत था और इसी स्कूल में उसकी सहायक अध्यापिका साजिया अली जो मोहम्मद अली की करतूतों को छुपाने का काम करती थी। स्कूल के अन्य एक शिक्षक ने यह भी बताया कि मोहम्मद अली सिर्फ हिंदू छात्राओं को ही निशाना बनाता था।
आरोप है कि कंप्यूटर क्लास लेने वाला मोहम्मद अली बच्चियों के प्राइवेट पार्ट के साथ छेड़छाड़ करता। स्कूल के बाथरूम में बाल ब्लेड और कंडोम भी मिले। स्कूल की बच्चियां बथरूम जाने से भी डरती थी।
आरोप लगाने वाली अध्यापिका जी ने बताया कि मोहम्मद अली न सिर्फ बच्चियों के प्राइवेट पार्ट को छूता था अपितु उन्हें नोचता कठोरता भी था पीड़ित बच्चियां अलग-अलग क्लास की है। अध्यापिका ने यह भी कहा कि जब इन सारी बातों की सूचना उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल को दी उसने भी मोहम्मद अली पर कोई कार्यवाही नहीं की और अंततः इस मामले में ग्राम प्रधान की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया।
अब कानून तो अपना जो काम उसे करना है वह करेगा लेकिन अभिभावकों के लिए यह एक बहुत चिंतनीय विषय है कि यदि आप अपने बच्चों को सरकारी या प्राइवेट किसी भी स्कूल में भेजते हो और वहां कोई इस मानसिकता का शिक्षक यह शिक्षिका है तो आपके बच्चों के साथ भी यह सब हो सकता है ऐसी संभावना है। या हो सकता है उन्हें द केरला स्टोरी की तरह है ब्रेनवाश कर कन्वर्ट किया जाए।
किस लिए हिंदू अभिभावक इस बात पर खास ध्यान दें कि बच्चों को केवल पढ़ाना जरूरी नहीं बल्कि सावधानी से पढ़ाना जरूरी है आपको देखना होगा कि आपके बच्चे जहां पढ़ रहे हैं वहां उनके आसपास कोई जिहादी मानसिकता का व्यक्ति ना हो ना उनका मित्र ना उनका शिक्षक और ना ही उस स्कूल कॉलेज का कोई ट्यून या कोई अन्य कर्मचारी।
इस मानसिकता को बहिष्कृत करना होगा समाज को एकजुट होकर खड़ा होना होगा और सरकार तथा प्रशासन से कड़े शब्दों में कहना होगा कि ऐसी स्कूलों और कॉलेजों में या किसी भी शिक्षण संस्थान में इस घटिया मानसिकता के जेहादियों को कार्य न दिया जाए जहां हिंदू बच्चे पढ़ते हो।