यह जानकर हमें खुश होना चाहिए कि दुनिया की सबसे कमाऊ इंडस्ट्रीज में से एक पर्यटन इंडस्ट्री का मुख्य आकर्षण भारत और चीन बनते जा रहे हैं! वर्ल्ड टूरिज्म इंडस्ट्री की रिपोर्ट है कि दो तरह के पर्यटन ऐसे हैं, जिनका भंडार भारत में छिपा है! ये हैं आध्यात्मिक पर्यटन और हैल्थ पर्यटन! सामान्य पर्यटन के अलावा एक तीसरा पर्यटन भारत में तेजी से उभर रहा है, वह है योग और आयुर्वेद पर्यटन!
भारत आने वाले पर्यटक अभी तक ताजमहल, कश्मीर और राजस्थान के लिए ही आया करते थे! लेकिन अब आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन टूरिस्ट को उत्तर के अलावा मध्य और दक्षिण भारत भी ले जा रहा है! भारत सरकार यदि विदेशों में टूरिज्म वीजा नीति को बहुत आसान कर दे तो रिपोर्टों के अनुसार चीन को पछाड़कर भारत दुनिया के टॉप डेस्टिनेशन में शुमार हो जाएगा!
भारत एक यात्रा प्रधान देश है। लाखों वर्षों से हम तीर्थाटन करते आए हैं। यह हमारे खून में है। तब भी हम तीर्थों पर जाते थे जब मार्ग दुर्गम थे और यातायात का साधन अपने दो पांव ही थे। हमारे पुरखों ने ईश्वर की तलाश में पहाड़ चढ़े, ऊंची ऊंची चोटियां नापी, उत्तर से दक्षिण और दक्षिण से उत्तर पैदल ही जा पहुंचे।
घर से विदाई लेकर कि फिर लौटें, न लौटें। इतनी कठिन यात्राएं कि अनेक लौटकर आते भी नहीं थे। हमारे शंकराचार्यों, रामानंदाचार्यो और ऋषि मुनियों ने चरैवैती चरैवैति की राह दिखाई, अध्यात्म के सूत्र दिए। यह तीर्थाटन ही पर्यटन था। इसी ने सैकड़ों रियासतों और हजारों जागीरों में बंटे भारतवर्ष को एक बंधन में बांटा।
भारत को एकात्मता और एक ही भक्तिधारा में पिरोने का काम हिल स्टेशनों ने नहीं तीर्थों ने किया, आलावर यायावरों ने किया। गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि आज दुनिया के पर्यटक हमारे देश में शिमला मसूरी ऊटी आगरा आदि घूमने नहीं, आध्यात्मिक केंद्र ढूंढने आ रहे हैं। निःसंदेह यह काम हमारे योगियों और संतों ने भी किया। ओशो, बाल योगेश्वर, महेश योगी, स्वामी शिवानंद, ओंकारानंद, चिदानंद, चिन्मयानंद आदि ने विदेशों में बेशक अपनी दुकान चलाई, परंतु सनातन धर्म के विषय में भारी आकर्षण पैदा किया।
जब से ताजमहल के बजाय कभी काशी तो कभी महाबलीपुरम प्रमोट किए गए हैं, भारत में पर्यटन बहुत बढ़ रहा है। बाबा रामदेव की पहल पर प्रधानमंत्री ने यूएनओ से योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस का दर्जा दिलाया। केरल में जड़ी बूटी एवम औषधीय पर्यटन बहुत बढ़ रहा है। पर्यटन बढ़ाने के लिए संसदीय पर्यटन समिति ने सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है।
जाहिर है, भारत में पर्यटन का युग आ रहा है। ये वन्देमातरम फास्ट रेल गाड़ियां, ये तीर्थ कॉरिडोर, ये एक्सप्रेस वे, ये पॉड कार आदि यूं ही नहीं लाए जा रहे। सब देसी विदेशी पर्यटन बढ़ाने की तैयारियां हैं। पर्यटन उद्योग परवान चढ़ेगा और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और समृद्ध हो जाएगा। टूरिज्म बढ़ाने की राह में आने वाली अड़चनों को प्राथमिकता के आधार पर दूर करना चाहिए। जो बाधक हैं, उनके साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए।