#शुभ_रात्रि
समय का हर क्षण मूल्यवान और बेशकीमती है। जो इसका सदुपयोग करना जानते हैं। अपने जीवन में सफलताओं के द्वार सरलता से खोल पाते हैं। और जो इसका दुरुपयोग करते हैं, वह सफलताओं की श्रंखला के लंबे दंश झेलते रहते हैं। प्रकृति के द्वारा हम सभी को जीवन रूपी निश्चित समय का उपहार मिला है। इसका एक क्षण भी ऐसा नहीं है कि जिस का उपयोग करके अपने भाग्य का निर्माण न कर लिया जाए। और इसका एक पल भी ऐसा नहीं है जो अपने साथ सुनहरे भविष्य को न संवारता हो।
समय को बर्बाद करना ,और इसे व्यर्थ में गवाना जीवन को मात्र पछताने के लिए छोड़ने के समान है।
हर कार्य की एक निश्चित समय सीमा होती है। समय के अनुरूप कार्य करने पर ही कार्य संपादित होते हैं।और निर्धारित कार्य की समय सीमा बीत जाने पर किए गए कार्य कितने भी अच्छे हो, बेकार हो जाते हैं। जिस तरह फसल सूख जाने के पश्चात पानी के बरसने से कोई लाभ नहीं मिलता है। बाद में पानी फसल के लिए बेकार हो जाता है।
पानी वही है फसल वही है लेकिन निश्चित समय में उस फसल को पानी नहीं मिल पाया बाद में मिला फिर भी वह उस फसल पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका।उसी प्रकार समय की सीमा समाप्त हो जाने के बाद कार्य की पूर्ति अपने महत्व व उपयोगिता को खो देती है।
जिस प्रकार गर्म लोहे को मनचाहे आकार में परिवर्तित किया जा सकता है। लेकिन यदि एक बार भी वह लोहा ठंडा हो जाए, तो फिर उस पर कितना भी प्रहार कर ले लेकिन वह मनचाहे आकार में नहीं ढलेगा।
ठीक इसी प्रकार किसी भी कार्य के लिए निर्धारित समय सीमा महत्वपूर्ण होती है। अवसर महत्वपूर्ण होते हैं। और इन्हें वही लोग प्राप्त कर लेते हैं जो इसका उपयोग करना जानते हैं ,कि कैसे समय का सदुपयोग किया जाता है।
जिसने समय को साध लिया समय के अनुरूप अपने आप को ढाल लिया। उसने समझ लो अपने जीवन को जीने का मंत्र जान लिया। समय के अनुसार और उसके अनुरूप जीवन को जीना सफल जीवन की ओर अग्रसर होना है।जो व्यक्ति निर्धारित समय पर निर्धारित कार्य को संपन्न करना सीख लेता है, वाह बड़ी आसानी से सफलता की ओर अपने कदम को बड़ा लेता है।
इसके लिए आवश्यक है कि हम अपनी दिनचर्या में जो भी कार्य करना चाहते हैं उसका एक क्रम बना ले। क्योंकि समय के सदुपयोग के साथ निर्धारित कार्य करने वाला व्यक्ति जिंदगी में कभी पीछे नहीं जाता है। सफलता उसके कदम चूमती हैं।
अपने कार्यों को अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित समय के भीतर पूरा कर लेना, जिससे अनावश्यक तनाव, चिंता ,घबराहट से बचा जा सके। हमारे कार्य समय पर इसलिए पूरे नहीं होते क्योंकि या तो हम अपने कार्य का दायरा बहुत ही बड़ा लेते हैं। या फिर अपने कार्य को टालने की एक प्रवृत्ति बना लेते हैं।कि हमारा कार्य हमेशा अधर में ही लटक कर रह जाता है। और इसका होश हमें तब आता है जब कार्य की निर्धारित समय सीमा समाप्त हो जाती है।तब कार तो किया जाता है लेकिन हड़बड़ाहट और जल्दबाजी व बेचैनी के साथ।
लोग प्रयास करने के बावजूद समय को प्रबंधित करने में अपने आप को असफल महसूस करते हैं।इसका मुख्य कारण सही ढंग से कार्य की प्राथमिकताओं को तय कर पाने का अभाव है।जब हमें ठीक ढंग से यह समझ नहीं आता कि कौन सा कार्य हमें पहले करना चाहिए और कौन सा बाद में। तो इसके कारण गैर जरूरी कार्य तो हो जाते हैं ।
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