वर्तमान में हम देखते हैं कि समाज में एक बड़ा (कहने को ही बड़ा है) वर्ग है जो हमेशा परेशान रहता है कभी लव जिहाद का रोना रोता है कभी लेंज हाथ का रोना रोता है और कभी जिहादियों पर भंडाफोड़ ता है तो कभी सरकार पर कभी प्रशासन पर लेकिन जो वास्तविक समस्या की जड़ है उस पर वह कभी ध्यान नहीं देता - "जी हां हम हिंदू समाज की ही बात कर रहे हैं"
वीडियो सोशल मीडिया पर देखा जिस पर लोगों ने कमेंट किया हुआ है कि "इस वीडियो द्वारा बॉलीवुड का भांड क्या मैसेज देना चाहता है आप खुद ही देख ले और चिंतन करें" 👇 वीडियो आप भी देखिए लेकिन चिंतन का रास्ता बदलना होगा जो वीडियो के बाद हम आपको बताना चाहेंगे...
उपरोक्त वीडियो में लोग जो ध्यान आकर्षित करवाना चाहते हैं वह बिंदु है कि एक बुर्के वाली लड़की को शाहरुख खान ने सलाम किया उसे बाकी लड़कियों की तरह अपनी बाहों में नहीं भरा।
अब इससे आप चाहे जो सोचें लेकिन पहले यह देखिए कि इस वीडियो में शाहरुख खान ने तो पहली लड़की को भी केवल हाथ मिलाने के लिए हाथ ही आगे बढ़ाया था वह तो वह खुद ही गोदी में आकर चढ़ गई है और दूसरी लड़की भी बेताब दिखी तो शाहरुख ने उन्हें भी गले से लगाया लेकिन तीसरी जो बुर्के वाली लड़की है उसने ना तो हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया और ना ही शाहरुख खान से गले मिलने के लिए कोई बेताबी का इजहार किया तो शाहरुख खान ने भी उनकी सोच के अनुसार उन्हें सलाम किया।
इसलिए सूचना तो होगा पर थोड़ा हटकर...केवल अपनी छोटिसी समझ के अनुरूप अपनी कमी को छुपाने के लिए दूसरे को आरोपी बनाकर आगे बढ़ना समाधान नहीं है
गलती केवल भांड की नहीं उन लड़कियों की भी है जिन्हें उनके माँ बाप ने संस्कार नहीं दिए .
कोई बुरा न माने लेकिन हम हिन्दुओं की मुख्य समस्या ये हैं की हम सांप के निकल जाने के बाद लकीर पीटते हैं , हम जेहादियों को दोष देते हैं की वो हमारी बच्चियों को लव जिहाद में फंसाते हैं , हम बॉलीवुड को दोष देते हैं की वो हमारे बच्चों को गलत संस्कार दे रहे हैं ..
लेकिन वास्तविकता ये है की हम खुद अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रहे अन्यथा कोई जेहादी क्या कोई भी क्यों न हो हमारी बच्चियों को अपना शिकार किसी भी हाल में नहीं बना सकता. हमारे बच्चे नशे के दलदल में नहीं धंसेंगे यदि उन्हें सनातन धर्म से जोड़कर हम उन्हें अच्छे बुरे का अंतर समझा सकें, वो खुद बॉलीवुड से दूरी बना लेंगे यदि हम उन्हें धर्म मार्ग पर ले जाकर ब्रह्मचर्य के बारे में अवगत करा सकें, हम उन्हें जीवन का सही अर्थ समझाकर मोक्ष की तरफ अग्रसर सकें (दुर्भाग्य है की आधे से ज्यादा हिंदू तो मोक्ष का मतलब तक नहीं समझते होंगे, क्योंकि कभी शास्त्र उठाकर ही नहीं देखे, अगर श्रीमद्भागवत गीता भी पढ़ लेते तो दुनिया और जीवन को समझकर मोक्ष की तरफ आगे बढ़ पाते)
दुर्भाग्य है की आज अधिकतर हिन्दू अपने बच्चों को अंग्रेज बनाकर आधुनिक बना रहे हैं। तो भाई उनका आचरण भी तो वैसा ही होगा , विदेशी संस्कृति में "चुम्मा चाटी" आम बात है तो उसका असर तो होगा ही और फिर जिसे फायदा उठाना है वो तो फायदा उठाएगा ही.
हमारे समाज में जो भी समस्याएं हैं उसका कारण है हिन्दुओं का धर्म ज्ञान का अभाव , धर्म संस्कृति से दूरी , शास्त्रों , धार्मिक कर्म काण्ड के प्रति झुकाव ना होना. हमारी इसी कमजोरी का लाभ समाज में व्याप्त गिद्ध उठाते है और फिर हम उन्हें गालियां देते हैं , उनकी कमियां गिनाते हैं, केवल अपनी और अपनों की कमियां छुपाने के लिए.
अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाइये, लेकिन आपस में बात तो अपनी भाषा में कीजिये. स्कूल में धर्म ज्ञान नहीं देते लेकिन घर में हनुमान चालीसा, गीता आदि पढ़ाने से किसने रोका है ? आखिर क्यों सनातनी अपने अनिवार्य कर्म अग्निहोत्र को नहीं समझते , करना तो दूर की बात हैं .
जब हम अपने संस्कार छोड़ चुके हैं , हम अपने धर्म से विमुख हो चुके हैं , हम भौतिक सुखो में संलिप्त हैं तो सजा तो मिलेगी ही ..और वही हिन्दुओं को मिल रही है बस इसके निमित्त जेहादी बन रहे हैं
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