गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 20
आज का पंचांग
मंगलवार, ०४/०४/२०२३,
चैत्र शुक्ल १३, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह 08:05 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 04 अप्रैल 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह 09:36 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅योग - वृद्धि 05 अप्रैल प्रातः 03:41 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅राहु काल - शाम 03:49 से 05:23 तक
⛅सूर्योदय - 06:30
⛅सूर्यास्त - 06:56
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:43 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:05 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - महावीर स्वामी जयंती
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔸वैशाख मास 06 अप्रैल से 05 मई 2023🔸
🔹वैशाख मास माहात्म्य🔹
(स्कन्द पुराण अंतर्गत)
🔹अम्बरीष ने पूछा – मुने ! वैशाख माह के व्रत का क्या विधान है ? इसमें किस तपस्या का अनुष्ठान करना पड़ता है ? क्या दान होता है? कैसे स्नान किया जाता है और किस प्रकार भगवान केशव की पूजा की जाती है ? ब्रह्मर्षे ! आप श्रीहरि के प्रिय भक्त तथा सर्वज्ञ हैं, अत: कृपा करके मुझे ये सब बातें बताइए ।
🔹नारदजी ने कहा – साधुश्रेष्ठ ! सुनो, वैशाख मास में जब सूर्य मेष राशि पर चले जाएँ तो किसी बड़ी नदी में, नदी रूप तीर्थ में, सरोवर में, झरने में, देवकुण्ड में, स्वत: प्राप्त हुए किसी भी जलाशय में, बावड़ी में अथवा कुएँ आदि पर जाकर नियमपूर्वक भगवान श्रीविष्णु का स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए । स्नान के पहले निम्नांकित श्लोक का उच्चारण करना चाहिए –
यथा ते माधवो मासो वल्लभो मधुसूदन ।
प्रात:स्नानेन मे तस्मिन् फलद: पापहा भव ।।(89।11)
अर्थ – “मधुसूदन ! माधव मास (वैशाख माह) आपको विशेष प्रिय है, इसलिए इसमें प्रात:स्नान करने से आप शास्त्रोक्त फल देने वाले हो और मेरे पापों का नाश कर दें”।
येSबान्धवा बान्धवा ये येSन्यजन्मनि बान्धवा:।
ये तृप्तिमखिला यान्तु येSप्यस्मत्तोयकाड्क्षिण:।। (89।35)
अर्थ – “जो लोग मेरे बान्धव न हों, जो मेरे बान्धव हों तथा जो दूसरे किसी जन्म में मेरे बान्धव रहे हों, वे सब मेरे दिये हुए जल से तृप्त हों । उनके सिवा और भी जो कोई प्राणी मुझसे जल की अभिलाषा रखते हों, वे भी तृप्ति लाभ करें ।”
यों कहकर उनकी तृप्ति के उद्देश्य से जल गिराना चाहिए । तत्पश्चात सूर्यदेव के नामों का उच्चारण करते हुए अक्षत, फूल, लाल चन्दन और जल के द्वारा उन्हें यत्नपूर्वक अर्घ्य दें ।
अर्ध्यदान का मन्त्र इस प्रकार है –
नमस्ते विश्वरूपाय नमस्ते नमस्ते ब्रह्मरूपिणे।।
सहस्त्ररश्मये नित्यं नमस्ते सर्वतेजसे।
नमस्ते रुद्रवपुषे नमस्ते भक्तवत्सल।।
पद्मनाभ नमस्तेSस्तु कुण्डलांगदभूषित।
नमस्ते सर्वलोकानां सुप्तानामुपबोधन।।
सुकृतं दुष्कृतं चैव सर्वं पश्यसि सर्वदा।
सत्यदेव नमस्तेSस्तु प्रसीद मम भास्कर।।
दिवाकर नमस्तेSस्तु प्रभाकर नमोSस्तु ते। (89।37-41)
🔹विशेषत: वैशाख के महीने में जो श्रीमधुसूदन का पूजन करता है, उसके द्वारा पूरे एक वर्ष तक श्रीमाधव की पूजा सम्पन्न हो जाती है ।
🔹जो समूचे वैशाख भर प्रतिदिन सवेरे स्नान करता, जितेन्द्रियभाव से रहता, भगवान के नाम जपता और हविष्य भोजन करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है ।
🔹जो वैशाख मास में आलस्य त्यागकर एकभुक्त (चौबीस घंटे में एक बार भोजन करना), नक्तव्रत (केवल रात में एक बार भोजन) अथवा अयाचितव्रत (बिना माँगे मिले हुए अन्न का एक समय भोजन) करता है, वह अपनी संपूर्ण अभीष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर लेता है ।
🔹वैशाख मास में प्रतिदिन दो बार गाँव से बाहर नदी के जल में स्नान करना, हविष्य खाकर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, पृथ्वी पर सोना, नियमपूर्वक रहना, व्रत, दान, जप, होम और भगवान मधुसूदन की पूजा करना – ये नियम हजारों जन्मों के भयंकर पाप को भी हर लेते हैं ।
🔹जैसे भगवान माधव ध्यान करने पर सारे पाप नष्ट कर देते हैं, उसी प्रकार नियमपूर्वक किया हुआ माधवमास का स्नान भी समस्त पापों को दूर कर देता है ।
🔹प्रतिदिन तीर्थ स्नान, तिलों द्वारा पितरों का तर्पण, धर्मघट आदि का दान और श्रीमधुसूदन का पूजन – ये भगवान को संतोष प्रदान करने वाले हैं, वैशाख मास में इनका पालन अवश्य करना चाहिए ।
🔹जो वैशाख मास में तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह विष्णु की सायुज्य मुक्ति को पाता है ।
🔹जो व्यक्ति महात्माओं, थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है ।
🔹जो वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है ।
🔹दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाएं तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है ।
🔹विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है ।
🔹जो विशाख मास गर्मी के महीने में फल और शर्बत का दान देता है उससे उसके पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है और दान देने वाले के सारे पाप कट जाते हैं ।
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