हनुमान चालीसा की इस चौपाई का वैज्ञानिक रहस्य
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा हनुमान जी के आराधना में रचित 40 चौपाइयों युक्त हनुमान चालीसा (Scientific Mystery of Hanuman Chalisa) की प्रत्येक चौपाई में कई रहस्यमई वैज्ञानिक बातें भी हैं।
संपूर्ण हनुमान चालीसा की चौपाइयों में अलग-अलग प्रकार से आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिकता समय हुई है, यही कारण है कि हनुमान चालीसा का नियमित तौर पर अध्ययन करने से चेतना का स्तर बढ़ता है।
हनुमान चालीसा की चौपाइयों में से एक चौपाई है “राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा”। इस चौपाई में जो वैज्ञानिकता समाई हुई है, उसी पर चर्चा करते हैं। इस चौपाई में गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस बात प्रमुख रूप से इशारा किया है वह है राम रसायन। विचार करने वाली बात यह है कि यह राम रसायन क्या है।
“राम रसायन तुम्हारे पासा”
हनुमान चालीसा कि इस चौपाई में राम एवं रसायन के बारे में जिक्र हुआ है। राम का तात्पर्य हम संपूर्ण आत्माओं की आत्मा यानी कि परमात्मा है, वही रसायन का मतलब साधारण भाषा में द्रव्य पदार्थ होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकौण से देखा जाए तो हमारे इसका हमारे मस्तिष्क से सीधा संबंध है। शरीर में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो मस्तिष्क के खास हिस्सों में विशिष्ट ग्रंथियों से निर्मित होते हैं जिन्हें Neurotransmitters कहते हैं जो सोच-विचार के जरिए हमारे व्यवहार और आचरण को प्रभावित करते हैं।जब विचार अच्छे होते हैं तो मस्तिष्क से जो द्रव्य सृवाहित होते हैं उनके असर से जीवन उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है, जिससे हमारी बीमारियां तो दूर होती ही है बाहर की परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती है। वहीं दूसरी ओर इन रसायनों की कमी घातक साबित होती है।
सदा रहो रघुपति के दासा
इस वाक्य के माध्यम से जीवन के अंतिम उद्देश्य की ओर इशारा किया, अर्थात राम रसायन यानी कि सकारात्मक दृष्टिकोण से मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले द्रव्यों के प्रभाव से जीवन सुखमय बिताने के पश्चात रघुपति यानी कि प्रभु श्री राम की शरण में जाना है।
हनुमान चालीसा का नियमित पठन-पाठन व श्रवण से हमारे मस्तिष्क में वह तरंगे उत्पन्न होती है। जिससे कि मस्तिष्क में बनने वाले प्रमुख Neurotransmitters यानी Dopamine, Serotonin, Guatamate endorphins और Noradrenaline का बैलेंस बना रहता है।
इससे सुकून भरी जिंदगी, सीखने की क्षमता का विकास, एकाग्रता, संघर्ष एवं जुझारूपन की क्षमता का स्वतः ही विकास हो जाता है। राम रसायन का यही अति विशिष्ट महत्व है।