४. टखने एक-दूसरे पर रखकर क्यों नहीं बैठना अथवा सोना चाहिए ?
टखने एक-दूसरे पर रखकर बैठने से / सोने से शरीर के उपप्राणों में से कृकल वायु का कार्य बढता है । इस अवस्था में देह से प्रक्षेपित आप एवं तेज तत्त्वों की सूक्ष्म-तरंगोें के कारण वायुमंडल में विद्यमान यमतरंगें कार्यरत होती हैं । टखने एक-दूसरे पर रखने से ये यमतरंगें पैरों के अंगूठों से व्यक्ति की ओर खिंची जाती हैं । इन यमतरंगों के प्रभाव के कारण अथवा शरीर के सर्व ओर बने कोष के कारण व्यक्ति के कोष के कारण व्यक्ति के मनोमयकोष में स्थित रजकणों की प्रबलता बढती है । इससे नींद में व्यक्ति की मनःशक्ति स्वप्न के माध्यम से अथवा जागृत अवस्था में आभास दृश्यों के माध्यम से कार्य करती है । इसलिए इस मुद्रा में जीव को आभास होने की अथवा नींद में स्वप्न आने की मात्रा अधिक होती है ।
रात्रि में सोकर प्रातः शीघ्र उठकर काम करने के लाभ
आजकल के भाग दौड वाले जीवन में मनुष्य समय पर अनेक दिनचर्या के नियमों का पालन नहीं कर पाता, जिसका परिणाम उसे अनेक रोगों का ग्रास बनकर भुगतना पड रहा है। जिस प्रकार प्रातःकाल उठने से और रात्रि में सोने से शारीरिक एवं मानसिक शांतिसंबंधी अनेक लाभ होते हैं, उसी प्रकार, आध्यात्मिक स्तर पर भी यह है । आइए, इस लेख को पढकर हम और जानकारी प्राप्त कर अपने निजी जीवन में इसका उपयोग करें ।