आखिर ये कैसी आस्था है जहां दोगलापन साफ साफ दिख रह है, जिस साईं की पूजा करते है उस साईं ने खुद को पुस्तक लिखाई उस पुस्तक को लोग मानने तैयार नहीं। देखिए साईं द्वारा लिखाई गई पुस्तक जो साईं संस्थान द्वारा वितरित है वो क्या कहती है
सच को स्वीकार करना सीखो हिंदुओं और अगर कोई गलती हो गई है अपना भगवान चुनने में तो अब गलती सुधार लो ताकि आपका परलोक ना बिगड़े..

