एक तीर से दो शिकार तो खैर हमलोग बचपन से ही सुनते आ रहे हैं..लेकिन, अब मोदी सरकार ने एक तीर से 3 शिकार करके दिखा दिया.क्योंकि, आज मोदी सरकार द्वारा पारित नई रोजगार योजना "जी राम जी" न सिर्फ मनरेगा के भ्रष्टाचार पर प्रहार है बल्कि इसके निहितार्थ कुछ और भी हैं.
असल में आजकल विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा फ्री की रेवड़ियाँ बांटने का चलन जोरों पर है. और, मनरेगा के 90% फंड केंद्र सरकार द्वारा दिये जाते थे.इसीलिए, विभिन्न राज्य सरकारें पात्र-कुपात्र आदि सभी को मनरेगा से जोड़कर "मनरेगा नाम का लूट है, लूट सके सो लूट" का तराना गाते हुए लूट में लगी हुई थी.
अब चूँकि, मनरेगा में राज्य सरकारों का पैसा लगना नहीं था इसीलिए मनरेगा में लूट मचा कर वे अपने अवैध घुसपैठियों के वोट बैंक की तुष्टिकरण करते रहती थी.लेकिन, अब जी राम जी योजना में केंद्र की सिर्फ 60% की भागीदारी रहेगी और राज्य सरकारों को 40% अपनी तरफ से देना होगा.
और, जाहिर सी बात है कि... दूसरों का पैसा तो सब लूटना चाहते हैं लेकिन अपनी पॉकेट का चवन्नी भी गिर जाए तो कलेजा फटने लगता है. इसीलिए, अब नई योजना में नहीं के बराबर लूट की संभवाना है...क्योंकि, ये पूरी तरह से डिजिटल होगा और बायोमेट्रिक से जुड़ा होगा. बाकी, मोदी सरकार ने नाम से ही स्पष्ट कर दिया है कि.... जिन्हें राम नाम से आपत्ति हो वो चाहें तो भाड़ में जा सकते हैं..
क्योंकि, इस योजना के जरिए मोदी सरकार ने ऑफिशियल रूप से इस बात पर मुहर लगा दी है कि....जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं"बाकी, इस योजना को गांडी नाम को तेलांडा में भेजने के लिए तो जाना ही जाएगा..! मतलब कि... एक तीर से तीन शिकार...!!
यूँ ही दुनिया भर में मोदी और शाह के नाम का भोकाल थोड़े न है...!!

