जैन मुनि प्रेमसागर जी महाराज ने एक संघ से जुड़े छोटे से 5 वर्षीय बच्चे के साथ हुए संवाद का वर्णन किया जिसमें बहुत महत्वपूर्ण सीख छुपी है..
यदि बच्चों को सही समय से उचित संस्कार दिए गए तो वो कभी अपने पथ से विमुख नहीं होंगे, वो कभी गलत मार्ग पर अग्रसर नहीं होंगे....

