👑 आरक्षण नहीं, ये 'राजा का मुकुट' है! पीढ़ी दर पीढ़ी 'दलित का दलित' बने रहने की ये कैसी मजबूरी?आरक्षण अब राजाशाही विरासत बन चुका है। पहले बाप पहनेगा, फिर बेटा, फिर नाती! और ये सिलसिला चलता रहेगा... लेकिन सवाल ये है कि इतने सालों बाद भी 'दलित का दलित' ही क्यों रहना पड़ रहा है? क्या आरक्षण गरीबी मिटाने के बजाय सिर्फ एक परिवार की जागीर बन गया है?
यह व्यवस्था योग्यता और प्रतिभा का गला घोंट रही है। अब वक्त है, जाति नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर समर्थन देने का!क्या आप भी आरक्षण मुक्त भारत चाहते हैं? जहां हर भारतीय को केवल उसकी मेहनत और काबिलियत से पहचान मिले? कमेंट में बताएं: क्या यह 'आरक्षण का मुकुट' उतरना चाहिए.....?