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2 मिनट समय निकालकर #Thread अंत तक अवश्य पढ़े।🧵👇
🔏 लेखक : पंकज सनातनी
इस विजयदशमी पर्व पर प्रत्येक सनातनी को शस्त्र पूजा करनी है। और साथ ही अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करनी हैं ये शस्त्र सूक्तियां आज नोट कर लें।
शस्त्र निष्क्रिय होते हुए भी सक्रिय होता है। मतलब अगर वो कहीं किसी आलमारी में पड़ा-पड़ा जंग खा रहा हो तो भी अपना काम करता रहता है उसकी मौजूदगी ही शत्रुओं के बुरे और कुत्सित विचारों को नष्ट करने के लिए काफी होती है।
दुनिया में अशांति इसलिए है क्योंकि सज्जनों ने शस्त्रों का त्याग कर दिया है और दुर्जन सदैव की तरह शस्त्रों से लैस हैं, यही वजह है कि दुर्जन हावी हैं और धरती पर अनाचार फैलता जा रहा है।
दुनिया को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है एक जिनके पास शस्त्र होता है और दूसरा जिनके पास शस्त्र नहीं होता है। जिनके पास शस्त्र होता है वो सदैव निडर और वीर बने रहते हैं और जिनके पास शस्त्र नहीं होते हैं और वो सदैव भयभीत होते हैं और कायर पुरुष बने रहते हैं।
जिस घर में अस्त्र शस्त्र होते हैं उस घर की स्त्रियों पर कभी किसी की कुदृष्टि डालने की हिम्मत भी नहीं होती है और जिनके घर में अस्त्र-शस्त्र नहीं होते हैं उनकी स्त्रियों के साथ राह चलते छेड़खानी होती है लव-जिहाद जैसी घटनाएं होती हैं और वो सदैव थाने के चक्कर ही लगाते रह जाते हैं। उन्हें बदनामी के सिवाय कभी कुछ हासिल नहीं होता है।
'सत्यमेव जयते' यानी सत्य की ही विजय होती है इस तरह की सूक्तियों के भरोसे बैठने से कोई फायदा नहीं है। सत्य तो हिंदुओं के साथ ही है फिर उनका पलायन क्यों हो रहा है…? सत्य तो युद्धिष्ठिर के साथ था लेकिन फिर भी वन वन भटकते रहे!जब युद्धिष्ठिर ने शस्त्र उठाया तभी सत्यमेव जयते हुआ। इसीलिए अब कहावतें बदल गई हैं ये कलयुग है और कलयुग में सदैव शस्त्र मेव जयते होता है। यानी जिसके पास शस्त्र होगा उसी की विजय होगी। इसलिए शस्त्र की खरीद करो अपने पास सदैव शस्त्र रखो।
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*💠 शस्त्र पूजा क्यों की जाती है…?*
धार्मिक महत्व : दशहरा नवरात्रि के नौवें दिन मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है। शस्त्र पूजा से योद्धाओं और आम लोगों को आत्मरक्षा, अन्याय के खिलाफ लड़ाई और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। आजकल यह केवल हथियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि किताबें, वाहन, मशीनें और पेशेवर औजार भी पूजे जाते हैं, जो जीवनयापन के साधनों को आशीर्वाद देने का माध्यम है।
क्षत्रिय परंपरा : प्राचीन काल में क्षत्रिय इस दिन देवी से शस्त्रों को आशीष मांगते थे, क्योंकि माना जाता है कि देवी ही उन्हें शक्ति प्रदान करती हैं। महाभारत में भी पांडवों ने कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले शस्त्र पूजा की थी, जिससे उन्हें विजय मिली।
*💠 ज्योतिष के हिसाब से भी ध्यान दें —*
शस्त्र का मतलब है 'मंगल ग्रह' अगर आपके पास शस्त्र है तो आपका मंगल मजबूत है और अगर आपका मंगल मजबूत है तो आप शत्रुओं पर सदैव विजय प्राप्त करते रहेंगे। इसलिए अपनी भुजाओं को शस्त्रों से मजबूत करें।
एक बार अपने हाथ में शस्त्र लेकर देखो, तब आपको ये महसूस होगा कि देशद्रोही शत्रु चींटियों के समान हैं। शस्त्र का होना ही आत्मविश्वास वर्धक महान मानसिक औषधि है इसका नित्य सेवन करते रहो।
राष्ट्र के शत्रुओं की संख्या गिनकर चिंता में मत पड़ो! चिंता सदैव इस बात की करो कि तुम्हारे पास कितने अस्त्र शस्त्र है। सदैव सुनिश्चित करो कि तुम्हारे अस्त्र-शस्त्र की संख्या तुम्हारे शत्रुओं की संख्या से ज्यादा हो।
जैसा को तैसा जवाब देना सीखो! शिकायत मत करो शिकायत लेकर किसके पास जा रहे हो…? ये संविधान, कानून, प्रशासन और व्यवस्था सिर्फ उनके लिए है जो शक्तिशाली हैं। कायर लोगों का साथ तो भगवान भी नहीं देता। कायर लोग सिर्फ शिकायत करते रह जाते हैं, इतने दिनों में आपको ये अवश्य महसूस हुआ होगा कि प्रशासन भी सदैव अत्याचार करने वाले शक्तिशालियों का साथ ही देता है।
इसलिए अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी खुद लो। कोई सेना, कोई सरकार तुमको बचाने नहीं आएगी, जब तुम पर संकट आएगा तो उस वक्त तुम और सिर्फ तुमको ही उसका सामना करना होगा। तुम्हारे सिवाय कोई तुम्हारी प्राण रक्षा नहीं कर सकेगा।
इसीलिए नियमानुसार शस्त्रों का संचय करो, सदैव पराक्रमी बनो, सज्जन बनो लेकिन कायर नहीं। शस्त्र धारण करके सज्जन बनो तभी तुम्हारी सज्जनता सुशोभित होगी।
इस सूक्ति का नित्य पठन करते रहें "कोई सिंह को, वन के राजा के रूप में अभिषेक या संस्कार नहीं करता है अपने पराक्रम के बल पर सिंह स्वयं जंगल का राजा बन जाता है।"
*💠 भारत में आत्मरक्षा के कानून : IPC की धारा 96 से 106*
भारत में आत्मरक्षा का अधिकार (Right to Private Defence) भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 96 से 106 तक वर्णित है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के अंतर्गत आता है, जो हर व्यक्ति को अपनी जान, सम्मान, संपत्ति और दूसरों की सुरक्षा के लिए उचित बल प्रयोग करने की अनुमति देता है। यह कोई अपराध नहीं माना जाता, बशर्ते कार्रवाई आनुपातिक (Proportional) हो और हमलावर को रोकने के लिए आवश्यक हो।
कृपया इस पोस्ट को एक अभियान की तरह धीरे-धीरे आगे बढ़ाइए। जब दशहरा आएगा तो कम से कम एक करोड़ हिंदुओं की तस्वीरें शस्त्र के साथ पूजा करते हुए सोशल मीडिया पर होनी चाहिए। हमारे शूरवीरों की इन तस्वीरों को देखकर ही देशद्रोहियों के हौंसले पस्त हो जाएंगे। ऐसा मेरा विश्वास है।
विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन शस्त्र पूजन करने की हमारी परम्परा सनातन काल से चली आ रही है। मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने भी रावण युद्व से पूर्व शस्त्र पूजन किया था। 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' में प्रांरभ से विजयदशमी के उत्सव पर शस्त्र पूजन की परम्परा रही है। अतः विजयदशमी के दौरान शस्त्र पूजा अवश्य करें। इससे अपने परिवार, माताओं बहनों, समाज, धर्म, राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
दशहरे का त्योहार सिर्फ मेला देखने के लिये नहीं होता था बल्कि शस्त्र पूजन के लिए होता था। और शस्त्र पूजन क्यों जरूरी था…? क्यों हमारे देवी देवता मुस्कुराते हुए लेकिन शस्त्र युक्त नजर आते हैं…? कारण यह है कि अपना धर्म हम खुद भूल चुके हैं ऐसे में औरों से क्या उम्मीद रखें।
इसे पढ़कर भूलना नहीं, विचार करना है अपने बच्चों की खातिर 🤔
✍️ साभार
(प्लीज शेयर इन ऑल ग्रुप्स एंड फैमिली मेंबर्स)
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