सव्यसाची दास MBBS ने बहुत ही थोड़े शब्दों में सच समझने के प्रयास किया है...यदि भारतीय इस सच को समझकर मानसिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दें तो हमारा देश और हमारी संस्कृति विश्व को सही मार्ग दिखा सकती है... लेकिन दुर्भाग्य के अभी तो हम खुद गलत मार्ग पर चल रहे है
धीरे धीरे ही सही शुरू कीजिए अपने संस्कारों को अपनी संस्कृति को धारण करना ...बदलाव आयेगा और जब बदलाव आयेगा तो पूरी दुनिया दिखेगी... आइए हम सब शुरू करते हैं ... त्यौहारों पर घरों में पारंपरिक परिधान पहने, त्यौहारी पारंपरिक तरीकों से मनाएं, शिखा, तिलक, कलावा इन सबको महत्व दें
जय श्री राम
ReplyDelete