"नेहरू जी ने तो शायद खुद मिट्टी खोदकर भाखड़ा डैम भी बना दिया था!"; इतिहास की किताबों में लिखा है, तो झूठ कैसे हो सकता है? “भाखड़ा नंगल नेहरू जी की देन है”
नहीं, ये भी एक चाचा-निर्मित भ्रम है।सच्चाई ये है कि भाखड़ा डैम तो नेहरू प्रधानमंत्री बने उससे पहले ही प्लान और शुरू हो चुका था।साल था 1944
अभी भारत आज़ाद भी नहीं हुआ था।ब्रिटिश राज के तहत पंजाब सरकार ने भाखड़ा डैम की योजना मंज़ूर कर दी थी।
टेक्निकल सर्वे 1930 के दशक में ही R.S. Enclave जैसे इंजीनियरों ने कर लिया था।
15 नवम्बर 1948 – निर्माण की शुरुआत.
इस दिन भाखड़ा डैम का शिलान्यास हुआ।
शिलान्यास किसने किया?
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति ने।ना कि नेहरू ने।नेहरू सिर्फ गेस्ट बनकर आए थे।
भाखड़ा डैम का विचार नया नहीं था।
1908 में ही पंजाब के ले. गवर्नर सर लुई डेन ने सतलुज नदी के जल को harness करने का प्रस्ताव रखा था।यानि ये सपना नेहरू से चालीस साल पहले देखा गया था।आज़ादी के बाद भी इस प्रोजेक्ट को नेहरू नहीं, सरदार पटेल ने प्राथमिकता दी थी।उनकी नज़र में ये केवल बिजली का प्रोजेक्ट नहीं था, ये राष्ट्रीय एकता और विकास का प्रतीक था।डैम का डिज़ाइन एक अमेरिकी इंजीनियर हर्वे स्लोकम ने तैयार किया।भारत के कंवर सैन और अन्य इंजीनियरों ने उसे आगे बढ़ाया।यानि इंजीनियरों की मेहनत, प्रांतीय नेताओं की दूरदर्शिता, और स्थानीय श्रमिकों की ताक़त ने इसको आकार दिया।
फिर हुआ PR का जादू!
1954 में नेहरू पहुंचे उद्घाटन के लिए।स्पीच दी, फोटो खिंचवाई, और इतिहास में लिखा गया; “नेहरू का सपना, आधुनिक भारत का मंदिर”वाह रे चाचा! आए तैयार प्रोजेक्ट पर, और पूरा क्रेडिट ले उड़े!यही था नेहरू स्टाइल:
✅ किसी और की मेहनत का मंच तैयार हो
✅ अंत में आओ, भाषण दो
✅ मीडिया से महिमामंडन करवाओ
✅ किताबों में नाम अमर कर लो
भाखड़ा-नंगल डैम
भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा और परिश्रम का प्रतीक है।ना कि किसी नेता के भाषणों का नतीजा।अब झूठों की इमारत गिरानी होगी।इतिहास का पुनर्लेखन नहीं, सत्यलेखन ज़रूरी है।
You rewrite history of india, don't target only nehru.
ReplyDeleteBhakhda dam nehru ji ki den hai kya ye toh nahi pata, par china bharat ki 90,000 square meel jamin hadapkar baitha hai woh nehru ji ki den hai
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