यूपी के संभल में शिव मंदिर से हटाई गई साईं बाबा की मूर्ति, गंगा नदी में किया विसर्जित, भगवान गणेश होंगे स्थापित। मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित अवनीश शास्त्री ने बताया कि साईं बाबा का हिंदू धर्मग्रंथों, वेदों या परंपराओं में कोई उल्लेख नहीं है.
किसी फ़कीर या व्यक्ति की पूजा निजी स्थानों तक सीमित होनी चाहिए, न कि मंदिरों में आदि शंकराचार्य या तुलसीदास जैसे महान संतों की भी मंदिरों में मूर्तियां नहीं हैं, तो साईं बाबा की क्यों होनी चाहिए?” यह मूर्ति जुलाई 2011 में स्थापित की गई थी, और 14 साल बाद समिति की मंजूरी से इसे हटाने का निर्णय लिया गया*
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Sambhal News: संभल जिले में एक शिव मंदिर से मंगलवार सुबह तड़के साईं बाबा की मूर्ति को हटाकर औपचारिक रूप से गंगा नदी में विसर्जित कर दिया गया. मंदिर समिति और स्थानीय भक्तों के सर्वसम्मति से लिए गए. इस निर्णय के तहत, गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाएगी.
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक शिव मंदिर से मंगलवार सुबह तड़के साईं बाबा की मूर्ति को हटाकर औपचारिक रूप से गंगा नदी में विसर्जित कर दिया गया. मंदिर समिति और स्थानीय भक्तों के सर्वसम्मति से लिए गए. इस निर्णय के तहत, गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाएगी.
साईं बाबा की मूर्ति
मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित अवनीश शास्त्री ने बताया कि साईं बाबा का हिंदू धर्मग्रंथों, वेदों या परंपराओं में कोई उल्लेख नहीं है. किसी फ़कीर या व्यक्ति की पूजा निजी स्थानों तक सीमित होनी चाहिए, न कि मंदिरों में आदि शंकराचार्य या तुलसीदास जैसे महान संतों की भी मंदिरों में मूर्तियां नहीं हैं, तो साईं बाबा की क्यों होनी चाहिए?” यह मूर्ति जुलाई 2011 में स्थापित की गई थी, और 14 साल बाद समिति की मंजूरी से इसे हटाने का निर्णय लिया गया.
साईं बाबा की मूर्ति हटाकर किया गंगा में विसर्जित
स्थानीय भक्त नीरज कुमार गुप्ता ने कहा कि साईं बाबा की मूर्ति की पिछले कुछ वर्षों में न तो पूजा की गई और न ही उसका रखरखाव हुआ. उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी पर उनके स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित होगी। एक अन्य भक्त जगदेव कुमार गुप्ता ने कहा कि मूर्ति की पूजा लंबे समय से नहीं हो रही थी. हमने इसे सम्मानपूर्वक गंगा में विसर्जित किया.
हिंदू महासभा के संभल नगर अध्यक्ष कमलाकांत तिवारी ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि मूर्ति हटाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया. इसमें कोई विवाद या विरोध नहीं हुआ. 1992 में बने इस शिव मंदिर में यह बदलाव स्थानीय भक्तों और मंदिर प्रबंधन की सहमति से शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. पुलिस और प्रशासन ने भी इस प्रक्रिया में कोई व्यवधान नहीं होने दिया।