1.क्या आप जानते हैं?
संस्कृत वर्णमाला की प्रत्येक ध्वनि केवल एक अक्षर नहीं है - यह एक कंपन है, एक मंत्र है, एक ब्रह्मांडीय संहिता है।आइए, सभी भाषाओं की जननी - संस्कृत वर्णमाला की पवित्र रचना में गोता लगाएँ।
2.स्वर - स्वरः (स्वराः):
ये सबसे शुद्ध ध्वनियाँ हैं - श्वास और आत्मा का सार।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ
ऌ ॡ ए ऐ ओ औ अं अः
प्रत्येक स्वर आपके चक्रों में गूंजता है।इनका जाप शरीर, मन और आत्मा को एकसूत्र में बाँधता है।
3- व्यंजन - व्यंजनानि (व्यंजनानि):
ये आपके शरीर में ध्वनि उत्पत्ति द्वारा व्यवस्थित होते हैं।
गुटुरल (कंठ)- गले से
तालव्य (तालव्य)- तालु से
सेरेब्रल (मूर्धन्य)-जीभ छत को छूती है
दंत्य (दन्त्य)-दांतों के पास
ओष्ठ (ओष्ठ्य)-होंठ
संस्कृत वैज्ञानिक दृष्टि से व्यवस्थित है।
4-व्यंजनों की प्रत्येक पंक्ति में शामिल हैं:
अश्वासित
अश्वासित
स्वरयुक्त
अनुनासिक
उदाहरण (क-वर्ग - क वर्ग):
क ख ग घ ङ
ये यादृच्छिक नहीं हैं - ये सूक्ष्म से स्थूल, आंतरिक से बाह्य की ओर बढ़ते हैं।शुद्ध ध्वन्यात्मक पूर्णता।
5-अर्ध-स्वर (अन्तस्थ):
ये कोमल हवाओं की तरह बहते हैं-
य र ल व
ये शब्दों को जोड़ते हैं, मिश्रित करते हैं और उनमें जान फूँकते हैं।संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है जहाँ ध्वनियों का आध्यात्मिक व्यक्तित्व होता है।
6- सिबिलेंट और महाप्राण:
श ष स ह ळ क्ष
ये ध्वनियाँ मौन को चीरती हैं और गहन ब्रह्मांडीय स्पंदनों को प्रतिध्वनित करती हैं।
क्ष (क्ष) - सृजन और विनाश का मिलन।अपने आप में एक पवित्र शब्दांश।
7-विशेष वर्ण
– विसर्ग (श्वास की प्रतिध्वनि)
– अनुस्वार (म – ॐ का कंपन)
– अवग्रह (विराम – शुद्ध काव्य)
संस्कृत में विराम चिह्नों का भी आध्यात्मिक अर्थ होता है।
8- संयुक्त व्यंजन - संयुक्ताक्षराः
त्र (त्र)- तपस
ज्ञ (jña) - ज्ञान
श्र (श्र) - श्रद्धा
ह्य (ह्य)-हृदय
ज्ञान, शक्ति, श्रद्धा जैसे शब्द सिर्फ अर्थ नहीं हैं।वे अक्षरों में कूटबद्ध ऊर्जाएँ हैं।
9-संस्कृत का प्रत्येक अक्षर एक मंत्र है।संस्कृत का जाप केवल संसार से संवाद ही नहीं करता, बल्कि आपको ब्रह्मांड से भी जोड़ता है।इसलिए प्राचीन ऋषि केवल ध्वनियों पर ध्यान करते थे, शब्दों पर नहीं।भाषा आध्यात्मिक तकनीक थी।
10- संस्कृत और चक्र:
प्रत्येक ध्वनि विशिष्ट चक्रों से संबंधित होती है।जप करके देखें:
अ – मूलाधार
इ – सूर्याधार
उ – कंठ
ओ – तृतीय नेत्र
म – मुकुट
यह कोई मिथक नहीं है। यह ध्वनि विज्ञान और आत्मा का ज्ञान है।
11- संस्कृत अंक:
0 1 2 3 4 5 6 7 8 9
हाँ, ये आधुनिक संख्याओं के वास्तविक मूल हैं।
"अरबी अंक"?
वास्तव में संस्कृत और ब्राह्मी के अनुवादों के माध्यम से भारत से उधार लिए गए हैं।
12- आज संस्कृत क्यों महत्वपूर्ण है?
ध्वन्यात्मक रूप से परिपूर्ण
व्याकरणिक रूप से पूर्ण
आध्यात्मिक रूप से गहन
नासा और एआई शोधकर्ताओं द्वारा समर्थित चेतना की मूल कोडिंग भाषा,एक विरासत जो समस्त मानवता की है।
13-अंतिम विचार: प्रत्येक संस्कृत अक्षर एक द्वार है।
केवल ज्ञान का ही नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार का भी।
इसे सीखें। इसे अनुभव करें। इसका जप करें।
दिव्य स्पंदन - नाद ब्रह्म से अपने संबंध को पुनः प्राप्त करें।
ॐ नमः संस्कृताय